अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए साधु-संतों ने अनोखे संकल्प लिए थे। किसी ने रामलला के मंदिर के गर्भगृह में विराजने तक विवाह न करने का संकल्प लिया तो किसी ने पगड़ी और जूते नहीं पहनने की प्रतिज्ञा की। इसी तरह करपात्री जी महाराज ने पिछले 22 सालों से केवल एक समय भोजन करने की शपथ ली और वो भी सिर्फ 18 कौर खाने की। उन्होंने सिले हुए कपड़े नहीं पहनने की भी शपथ ले रखी है।
अब जब रामलला 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में विराजने जा रहे हैं तो इस संत का संकल्प भी पूरा होता दिख रहा है। अब वो 22 जनवरी 2024 को भगवान राम की आज्ञा लेकर भरपेट भोजन करेंगे। इस संत ने ‘द राजधर्म’ यूट्यूब चैनल से हुई बातचीत में इसकी जानकारी दी।
प्रभु राम के अयोध्या भवन प्रवेश तक कर में भोजन
अपने नाम का मतलब बताते हुए करपात्री महाराज कहते हैं कि जिसका कर (हथेली) ही पात्र हो, वो करपात्री है। वो कहते हैं, “आज से 22 साल पहले मैंने ये संकल्प लिया था कि मैं अयोध्या में कुछ कर नहीं सकता हूँ, लेकिन जब-तक मेरे प्रभु राम जी अयोध्या के अपने भवन में प्रवेश नहीं कर पाते, तब तक मैं अपने कर में ही भोजन करूँगा। कर ही में जल ग्रहण करूँगा। मेरा भोजन केवल 18 कौर का होगा। और दिन में एक बार होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने संकल्प लिया कि सिला हुआ कपड़ा नहीं पहनूँगा। खड़ाऊ पहनूँगा। तब तक ऐसे ही रहूँगा। तब से मेरी तपस्या चल रही है। 22 तारीख को जब मेरे परमात्मा अपने गृह में स्थापित हो जाएँगे, तब उनसे अनुमति माँगकर भरपेट भोजन करूँगा। सिला हुआ कपड़ा पहनना प्रारंभ कर दूँगा, क्योंकि हमारी प्रतिज्ञा हमारे परमात्मा ने पूरा किया है।”
करपात्री जी आगे कहते हैं, “वैष्णव संप्रदाय का सर्वोच्च पद मेरे पास है। रामानुजाचार्य, जगतगुरु, जीयर स्वामी, करपात्री जी महाराज… पूरे विश्व में ये जगतगुरु से भी ऊँचा पद होता है। हम आपको पूरा नाम नहीं बता सकते हैं। अभी केवल करपात्री महाराज के नाम से ही हमें पूरा विश्व जान रहा है।”
18 पुराण और 4 वेद का सम्मेलन है 22 तारीख
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन तय करने को लेकर करपात्री महाराज ने कहा कि रामलला का मंदिर में जाने का एक स्वरूप है। रामजी का स्वरूप वेद-पुराण से है। इसके लिए उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई ‘सुमति भूमि थल हृदय अगाधू। बेद पुरान उदधि घन साधू॥ बरषहिं राम सुजस बर बारी। मधुर मनोहर मंगलकारी॥’ का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “18 पुराण और 4 वेद मिलकर 22 होता है। तिथि 22 इसलिए रखी गई है कि 18 पुराण और 4 वेद मिलकर राम का विग्रह बनता है।”
वो आगे कहते हैं, “इस दिन परमात्मा आ रहे हैं। मेरे ठाकुर जी आ रहे हैं। कह रहे हैं कि अब कोई बरी नहीं होगा। हम सबके साथ जाएँगे। अब कोई ‘जनबरी’ नहीं होगा। इसलिए वो ‘जनवरी’ में आ रहे हैं।” जनवरी महीने को ‘जनबरी’ के रूप में समझाते हुए वो कहते हैं, “हमारे हिंदी साहित्य में जन कहा जाता है व्यक्ति को और बरी का मतलब होता कोई अलग न हो पाए कोई व्यक्ति अकेला न रहे।”
प्रभु राम के उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “शायद आपको पता नहीं होगा कि जब राम चतुर्भुज स्वरूप में आए तो रोने लगे। बहुत रोए। तब कौशल्या माँ ने कहा कि अब तो रोना बंद करो। बच्चे हो। सब ठीक है। सब शुभ हो गया। तब प्रभु राम ने कौशल्या माँ से कहा कि जब तक संसार में मैं नही आया था लोग रो रहे थे। मैं अब संसार में आ गया हूँ। अब कोई नहीं रोएगा। इस नाते मैं रोना शुरू किया हूँ।”
इसके बाद करपात्री महाराज ने ‘सुनि बचन सुजाना रौदन ठाना, होई बालक सुर भूपा’ गाते हुए बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के नाते ये तिथि और जो अभिजीत मुहूर्त 88 सेकेंड चुना गया है, उसमें प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वे प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव 15 तारीख से ही प्रारंभ कर देंगे और प्राण प्रतिष्ठा तक लगातार चलेगा।
पीएम मोदी को लेकर उन्होंने कहा, “हमारे यशस्वी पीएम मोदी आएँगे। वो जब आएँगे तो सबसे पहले सरयू में स्नान करेंगे। इस स्नान से शरीर में किसी तरह का दोष हो तो सब मुक्त हो जाते हैं। उससे पहले वो उपवास रखेंगे। उपवास में ही स्नान करेंगे। उप का मतलब होता है सानिध्य और वास का मतलब होता है मन के पास। इस तरह से परमात्मा के पास जाने के लिए उपवास रखा जाता है।”