विषय
इतिहास और गाथा
सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो 2019 में आया। राम मंदिर के लिए लेकिन संघर्ष तो 500 वर्षों का रहा है। इतिहास और गाथाएँ उससे भी पहले की। अपने आराध्य पर किसी ने अटूट आस्था रखी तो किसी ने भीष्म प्रतिज्ञा ली। किसी ने नौकरी छोड़ी तो किसी ने राजनीति कर मार्ग प्रशस्त किया।
राम मंदिर के लिए जिन-जिन ने अपना जीवन खपाया, अयोध्या के संघर्ष में जिन खबरों ने मचाई हलचल, रामलला से जुड़ी जो भी है गाथा-किंवदंति… सब कहानी है यहाँ।
कौन थी वो राष्ट्रभक्त तिकड़ी, जो अंग्रेज कलक्टर ‘पंडित जैक्सन’ का वध कर फाँसी पर झूल गई: नासिक का वो केस, जिसने सावरकर भाइयों...
अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, कृष्णाजी गोपाल कर्वे और विनायक नारायण देशपांडे को आज ही की तारीख यानी 19 अप्रैल 1910 को फाँसी पर लटका दिया गया था। इन तीनों ही क्रांतिकारियों की उम्र उस समय 18 से 20 वर्ष के बीच थी।
समाज को बचाने के लिए वीर देते थे खुद का बलिदान, महान भारतीय परंपरा का बेंगलुरु में मिला साक्ष्य: बुरी शक्तियों को भगाने के...
13वीं और 14वीं शताब्दी में बेंगलुरु के वीर समाज को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए खुद का बलिदान देते थे। इन बलिदानियों की मूर्तियाँ मिली हैं।
आक्रांताओं की हिंसा से बचाने के लिए देवी-देवताओं, महिलाओं को घर में लाया गया… राम मंदिर से महिलाएँ फिर होंगी स्वतंत्र-सुरक्षित
श्री राम और राम राज्य इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि हिंसा सनातन संस्कृति का हिस्सा नहीं थी। राम मंदिर से समाज में यह बात फिर से घर करेगी।
पाकिस्तानियों के कहने पर नेहरू हटवा रहे थे रामलला को, जिस ऑफिसर ने कॉन्ग्रेसी PM-CM दोनों को दिखाया ठेंगा… उन्हें रात में निकाल दिया...
पूर्व सेक्रेट्री राघवेंद्र सिंह ने बताया कि 1949 में रामलला की मूर्ति हटाने के लिए केंद्र ने यूपी सरकार को आदेश दिए थे।
जब रामरथी आडवाणी के लिए सड़क पर उतर गईं प्रोफेसर शारदा सिन्हा, समस्तीपुर के सर्किट हाउस में ही छठ करने को तैयार थीं महिलाएँ
अजीत झा -
सोमनाथ से अयोध्या के लिए निकली जिस रथ यात्रा के पहिए तुष्टिकरण की राजनीति ने बीच में ही रोक दिए उसने भारत की राजनीति को ही बदल दिया।
हमारा धर्म सनातन है… ‘695’ में राम मंदिर के संघर्ष की गाथा, प्राण प्रतिष्ठा से पहले रिलीज होगी अरुण गोविल और मनोज जोशी की...
फिल्म '695' में राम का किरदार निभा चुके अभिनेता अरुण गोविल साधु की भूमिका में हैं। ढाई घंटे की इस फिल्म में राम जन्मभूमि की संघर्ष गाथा है।
कोलकाता के घर-घर में ‘पीला चावल’ भेज रहे हैं बलिदानी कोठारी बंधुओं के मित्र-परिजन, अयोध्या में भी लगाएँगे जलपान का कैंप
कोठारी बंधुओं की स्मृति में चलने वाली संस्था 'राम शरद कोठारी स्मृति संघ' अयोध्या में कैंप लगाने जा रही है। इसमें श्रद्धालुओं के लिए चाय-नाश्ते का निशुल्क प्रबंध होगा।
जिन्होंने दिया ‘रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे’ का नारा, उनको भी मिला प्राण-प्रतिष्ठा का न्योता: मिलिए कारसेवक बाबा सत्यनारायण से
राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कई ऐसे नारे आए जिन्होंने हिंदुओं में उत्साह का संचार किया। ऐसा ही एक नारा है- रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे।
रामानंदी पद्धति से होगी रामलला की पूजा-अर्चना, माँ सीता ने हनुमान को दी थी इसकी दीक्षा: इसके माहात्म्य के बारे में जानिए सब कुछ
वैष्णव समाज में रामानुज की परंपरा में ही संत रामानंदाचार्य हुए, जिन्होंने विशिष्टाद्वैत सिद्धांत को आगे बढ़ाया। अहं का त्याग और समर्पण - रामानंदी भक्ति धारा इन्हीं पर आधारित है। रामलला एक बालक हैं, इसीलिए संरक्षक बन कर पुजारी पूजा करेंगे।
जिस जज ने खुलवाया राम जन्मभूमि का ताला, MBBS पढ़ती उनकी बेटी को ‘विशेष वर्ग’ ने किया था टॉर्चर: मुलायम सरकार में प्रमोशन भी...
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए कई लोगों ने संघर्ष किया है। इसमें वो जज का नाम भी आता है जिन्होंने हिंदुओं को वहाँ पूजा करने की इजाजत दी।