केरल में 18 साल की यौन शोषण पीड़िता ने आत्महत्या कर ली। वह मलप्पुरम जिले के थेनहीपालम के पास एक किराए के घर में रहती थी। घटना 20 जनवरी 2022 की है। कई मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि उसने मंगेतर के साथ झगड़े के बाद यह कदम उठाया, जबकि पीड़िता द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से पता चलता है कि वह स्थानीय पुलिस द्वारा अपमान और मजाक उड़ाए जाने को लेकर परेशान थी। उसने कई लोगों पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए पुलिस के समक्ष कई शिकायतें दर्ज करवाई थीं।
इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामला दर्ज किया है। आयोग की सदस्य बबीता बलराज ने बच्ची की मौत के मामले में बाल कल्याण समिति और कोझीकोड के जिला पुलिस प्रमुख से रिपोर्ट माँगी है। केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि वह जिला पुलिस प्रमुख और बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद जल्द ही मामले पर कार्रवाई करेगा। कोझीकोड के जिला बाल संरक्षण अधिकारी को भी रिपोर्ट देने को कहा गया है। जानकारी के मुताबिक COVID-19 लॉकडाउन के दौरान लड़की के यौन शोषण के संबंध में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की विभिन्न धाराओं से जुड़े आधा दर्जन मामले दर्ज थे।
यह शिकायतें 2 साल में उसके साथ हुई दुर्व्यवहार को लेकर दर्ज कराई गई थी। इन आरोपितों में मृतक के रिश्तेदार भी शामिल थे। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि दो दिन पहले सामने आए उनके सुसाइड नोट में कहा गया है कि कोझीकोड जिले के फिरोक थाने के तत्कालीन सर्कल इंस्पेक्टर ने उन्हें सेक्स वर्कर कह कर उसका अपमान किया था। उसने उस पर अपने मंगेतर को धमकी देने का भी आरोप लगाया। यह नोट कुछ महीने पहले लिखा गया था जब उसने एक बार पहले भी आत्महत्या का प्रयास किया था।
नोट में फेरोक पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर पर मामले की जाँच के तहत उसके परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है। उसने पत्र में लिखा था, “सीआई सर ने मुझे सेक्स वर्कर कहकर मेरा अपमान किया। उन्होंने आसपास के लोगों को यौन शोषण के बारे में बताया। अब मैं बाहर नहीं जा सकती। मेरी मौजूदा स्थिति के लिए आरोपित और पुलिस जिम्मेदार हैं।” उसने पत्र में यह भी कहा कि उसके मंगेतर के साथ मारपीट की गई और उससे शादी न करने की धमकी दी गई।
यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता ने अपने मंगेतर को यौन शोषण के बारे में बताया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसने पुलिस में शिकायत करने के लिए उसका समर्थन किया। मार्च 2021 में, उसने सभी शिकायतें दर्ज कीं, सभी छह POCSO अधिनियम के तहत दर्ज की गईं। इसमें से एक मलप्पुरमा के कोंडोट्टी में और पाँच फेरोक में दर्ज की गई थी।
मीडिया से बात करते हुए उसकी माँ ने कहा कि युवती गंभीर मानसिक संकट से गुजर रही थी और उसे राज्य से कोई सहयोग नहीं मिला। माँ ने कहा कि हालाँकि उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों को अपनी बेटी की खराब स्थिति के बारे में सूचित किया था, लेकिन कोई भी उसकी मदद करने या परामर्श देने के लिए तैयार नहीं था। उसने यह भी आरोप लगाया कि युवती का मंगेतर से विवाद चल रहा था और आत्महत्या से पहले पिछले कुछ दिनों में उनका फोन पर झगड़ा हुआ था। इसके साथ ही उसकी माँ ने बताया कि उसने डिप्रेशन के कारण तीन बार अपनी जीवन लीला समाप्त करने का प्रयास किया था।
जानकारी के मुताबिक फेरोक पुलिस स्टेशन के निरीक्षक ने 22 मार्च, 2021 को पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज प्राथमिकी का विवरण देते हुए बाल कल्याण समिति (CWC), कोझीकोड में एक रिपोर्ट दर्ज की थी। हालाँकि, पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया कि सूचित किए जाने के बाद भी सीडब्ल्यूसी ने इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं सीडब्ल्यूसी ने इन आरोपों का खंडन किया।
सीडब्ल्यूसी कोझीकोड के अध्यक्ष एडवोकेट पीएम थॉमस ने TNM को बताया, “न तो परिवार और न ही पुलिस ने परामर्श के लिए मदद माँगी थी। पुलिस ने सिर्फ एक सामान्य रिपोर्ट दी। हमारे पास पॉक्सो पीड़ितों की सुरक्षा और सहायता के लिए एक उचित प्रणाली है। अगर हमें सूचित किया जाता तो हम उचित परामर्श दे सकते थे।”
हालाँकि, जब टीएनएम ने फेरोक में पुलिस से पूछा तो उन्होंने दावा किया कि उन्होंने FIR दर्ज करने के बाद सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है। फेरोक स्टेशन हाउस ऑफिसर जी बालचंद्र ने कहा, “हमने मामले दर्ज होने के तुरंत बाद CWC को एक विस्तृत रिपोर्ट दी थी। हमने सभी विवरण दिए हैं और यह उन्हें ही तय करना है कि पीड़ित को कैसे समर्थन या आश्रय में ले जाना है।” बालचंद्र ने ही मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी।