खालिस्तान समर्थक ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह सहित कई कट्टरपंथी असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद हैं। इतने खतरनाक लोगों के जेल में बंद होने के बावजूद उनके सेल से कई स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट बरामद हुए थे। इस मामले में शुक्रवार (8 मार्च 2024) को जेल के अधीक्षक निपेन दास को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डिब्रूगढ़ के सेंट्रल जेल में 17 फरवरी 2024 को अमृतपाल के सेल की जाँच की गई थी। उसके पास से मोबाइल फोन और जासूसी कैमरे सहित कई सामान बरामद किए गए थे। इसे बेहद लापरवाही का मामला माना गया और जाँच के बाद जेल के अधीक्षक निपेन दास को गिरफ्तार कर लिया है। दास की गिरफ्तारी की पुष्टि डिब्रूगढ़ के एसपी वीवीआर रेड्डी ने की है।
Assam | Dibrugarh Police arrested Nipen Das, Superintendent of Central Dibrugarh Jail, confirms VVR Reddy, SP Dibrugarh
— ANI (@ANI) March 8, 2024
Objectionable materials, including mobile phones and a spy camera, were recovered from the custody of Amrit Pal Singh, the chief of 'Waris Punjab De,' lodged…
खालिस्तान समर्थक कैदियों के कब्जे से एक सिम कार्ड के साथ एक स्मार्टफोन, एक कीपैड फोन, कीबोर्ड के साथ एक टीवी रिमोट, एक स्पाई कैमरा पेन, पेन-ड्राइव, एक ब्लूटूथ हेडफोन शामिल थे। उस समय असम के डीजीपी जीपी सिंह ने कहा था, “डिब्रूगढ़ जेल में NSA लगाए गए बंदियों को रखा गया है। इस सेल में होने वाली ऐसी अवैध गतिविधियों की जानकारी मिलने पर एनएसए ब्लॉक के परिसर में अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।”
बता दें कि अमृतपाल सिंह सहित कई खालिस्तान समर्थक डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। इसमें उनका एक चाचा भी शामिल हैं। उन्हें पिछले साल 23 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद उसे असम के डिब्रूगढ़ की जेल में लाया गया था। वारिस पठान दे संगठन पर कार्रवाई के बाद उसके समर्थकों को पंजाब के विभिन्न हिस्सों से NSA के तहत गिरफ्तार किया गया था।
इन कट्टरपंथियों को पंजाब से असम लाए जाने के बाद जेल में मल्टीलेवल सिक्युरिटी सिस्टम लगाया गया था। अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे और ख़राब कैमरों को बदल दिया गया था। डिब्रूगढ़ जेल पूर्वोत्तर की सबसे पुरानी और सबसे हाई सिक्यूरिटी वाली जेलों में से एक है। इसका निर्माण 1859-60 में हुआ था।
गौरतलब है कि अमृतपाल ने गिरफ्तार हुए अपने एक सहयोगी की रिहाई के लिए अजनाला पुलिस थाने पर समर्थकों के साथ धावा बोल दिया था। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी थी। लगभग 36 दिनों तक फरार रहने के बाद मोगा में अमृतपाल पुलिस के शिकंजे में आया था। वो 18 मार्च से ही अजनाला से फरार चल रहा था। 23 अप्रैल को मोगा में मिला।