बिहार के सिवान जिले से माँग उठी है कि अब हिंदुस्तानी मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान-बांग्लादेश से इतर एक नया मुल्क दिया जाए, जो दोनों के बीच हो। ये बातें प्रोफेसर खुरशीद आलम लगातार सोशल मीडिया पर लिख रहा है। हैरानी की बात ये है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही, जबकि छात्र उसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये मामला सिवान के गोरियाकोठी इलाके का है। जहाँ जेपी यूनिवर्सिटी से जुड़े नारायण कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात खुरशीद आलम उर्फ लाल बाबू लगातार देश में विभाजन के पक्ष में जहर उगल रहा है। खुरशीद आलम कई माह से भारतीय मुस्लिमों के लिए अलग देश की माँग कर रहा है। वो पाकिस्तान और बांग्लादेश के राष्ट्रगीतों को शेयर करता है और दोनों ही देशों के जिंदाबाद के नारे भी सोशल मीडिया पर लिखता है।
खुर्शीद आलम के फेसबुक प्रोफाइल के कुछ स्क्रीनशॉट्स देखिए, जिसमें वो 19 दिसंबर को मुस्लिमों से अलग मुल्क की डिमांड रखने की बात कह रहा है। 29 दिसंबर को वो खुलेआम लिखता है कि भारत-पाकिस्तान का बंटवारा अभी पूरा नहीं हुआ। 02 जनवरी 2024 को वो फेसबुक पर यूनाइटेड पाकिस्तान और बांग्लादेश जिंदाबाद लिखता है, तो 3 दिन पहले वो भारतीय मुस्लिमों के लिए अलग होमलैंड की माँग करता है।
खास बात ये है कि यही खुरशीद आलम कुछ दिन पहले यहूदियों और मुस्लिमों को मिलकर रहने की सीख दे रहा था। वो इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम की बात कर रहा था और ऐसी तस्वीर भी शेयर की थी, जिसमें वो इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सहअस्तित्व को मानता है। लेकिन उसे हिंदुस्तान की बात आने पर यहाँ के मुस्लिमों के लिए अलग देश चाहिए।
खुरशीद आलम की अलग मुस्लिम देश की माँग को लेकर सोशल मीडिया पर हाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जेपी विश्वविद्यालय के कुल सचिव रणजीत कुमार को पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने नारायण महाविद्यालय, गोरियाकोठी के असिस्टेंट प्रोफेसर खुरशीद आलम को तुरंत बर्खास्त करने की माँग की है।
छपरा: JPU के प्रो. खुर्शीद आलम पर बड़ा आरोप, अलग मुस्लिम राष्ट्र की माँग का स्लोगन लिखने का आरोप। pic.twitter.com/8SGEvSEgvk
— News18 Bihar (@News18Bihar) January 6, 2024
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने खुरशीद आलम के खिलाफ देशद्रोह के मामले में मुकदमा दर्ज किए जाने की माँग की है और अपना शिकायत पत्र भी सौंपा है। हालाँकि इतना सबकुछ होने के बावजूद खुरशीद आलम ने न ही सोशल मीडिया से वो पोस्ट डिलीट किए हैं, और न ही माफी माँगी है।
ये पूरा मामला कई सवाल खड़े करता है। खासकर बिहार में हो रही सनातन और राष्ट्र विरोधी कामों को लेकर। सत्ताधारी आरजेडी के नेता सनातन को गालियाँ देते हैं। वो मंदिर को लेकर उल्टी सीधी बातें लिखते हैं। वो पोस्टर लगाकर राजनीति करते हैं। ऐसे में जब आरजेडी अपने विधायकों और मंत्रियों तक को नहीं रोक रही है, तो अपने खास कोर वोट बैंक से जुड़े लोगों पर क्या ही कार्रवाई करेगी? बहरहाल, ये मामला बेहद गंभीर है। ऐसे मामलों में चुप्पी साधने का परिणाम बेहद भयावह हो सकता है।