आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड (ICICI-Videocon Loan Fraud) मामले में केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) को गिरफ्तार किया है। 3250 करोड़ रुपए की ‘स्वीट डील’ और लोन फ्रॉड के मामले में यह तीसरी गिरफ्तारी है। इससे पहले, सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर तथा उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था।
क्या है मामला
साल 2012 में आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। यह लोन मिलने के कुछ सप्ताह बाद, वीडियोकॉन ग्रुप की एक कंपनी ने सुप्रीम एनर्जी ने दीपक कोचर के स्वामित्व वाली कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी। 3250 करोड़ रुपए के इस लोन को लेकर CBI का कहना है कि वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 2810 करोड़ रुपए (लगभग 86%) बैंक को नहीं चुकाए।
वहीं, साल 2009 से 2011 तक चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक में चंदा कोचर के कार्यकाल के दौरान, वीडियोकॉन ग्रुप और उससे जुड़ी कंपनियों को कुल 1875 करोड़ रुपए के 6 कर्ज दिए गए थे। आरोप है कि वीडियोकॉन को सभी लोन नियमों और पॉलिसी को ताक में रखकर दिए गए थे।
यही नहीं, साल 2017 में वीडियोकॉन ग्रुप के लोन को NPA में डाल दिया गया। किसी लोन को NPA में डालने का मतलब यह है कि आईसीआई बैंक ने इस कर्ज को फंसा हुआ कर्ज मान लिया। कर्ज के NPA में जाने से ICICI बैंक को 1730 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस पूरे मामले में, चंदा कोचर पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को कर्ज देते हुए अपने पति को लाभ पहुँचाने की कोशिश की।
कैसे फँसीं चंदा कोचर?
रिपोर्ट के अनुसार, ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और SEBI को एक पत्र लिखकर वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत और ICICI की सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुँचाने का आरोप लगाया था।
अरविंद गुप्ता ने इस पत्र में आरोप लगाया था कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। इसके बदले वीडियोकॉन के चेयरमैन ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नूपावर को फंडिंग की। इस पत्र के बाद सरकार ने जाँच के आदेश दिए। इसके बाद, ईडी तथा सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर, वेणुगोपाल धूत व अन्य पर एफआईआर दर्ज की।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जाँच करते हुए दावा किया कि चंदा कोचर ने बैंक की कर्ज नीतियों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को कर्ज दिया। इस कर्ज के बदले में, वीडियोकॉन के मालिक धूत ने, दीपक कोचर की कंपनी नूपावर को फंडिंग की। भष्टाचार का आरोप लगने के बाद चंदा कोचर ने साल 2019 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया।
सीबीआई का दावा है कि वेणुगोपाल धूत की कंपनी वीडियोकॉन ने आईसीआईसीआई बैंक को कर्ज के करीब 28 प्रस्ताव दिए थे। लेकिन, चंदा कोचर और उनकी टीम ने सिर्फ 8 कर्ज ही पास किए। आरोप है कि, चंदा कोचर ICICI बैंक की उस टीम का हिस्सा थीं, जिसने वीडियोकॉन ग्रुप के 4 लोन पास किए थे।
वेणुगोपाल धूत पर आरोप
सीबीआई का दावा है कि ICICI बैंक ने बैंक के नियमों, आरबीआई की गाइड लाइन और बैंक की कर्ज नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल की कंपनी को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया। एफआईआर के अनुसार, धूत ने लाभ के बदले सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के जरिए दीपक कोचर की कंपनी नूपावर को 64 करोड़ रुपए दिए।
महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बना दी गई थीं चंदा कोचर
एक समय था जब चंदा कोचर को भारत में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता था। उन्हें ICICI बैंक को ऊँचाइयों पर पहुँचाने वाली महिला के रूप में भी याद किया जाता है। विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था।
चंदा कोचर भारत में किसी बैंक की CEO बनने वाली पहली महिला थीं। बैंकिंग सेक्टर में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने चंदा कोचर को देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया है।
कभी कमाती थी एक दिन में 2.18 लाख रुपए
जब मामले का खुलासा हुआ था, तब चंदा कोचर का एक दिन का वेतन करीब 2.20 लाख रुपए था। धोखाधड़ी, रिश्वत, मनी लॉन्ड्रिंग और NPA से जुड़े इस मामले ने चंदा कोचर के स्वर्णिम करियर को बर्बाद कर दिया।
चंदा कोचर ने साल 1984 में इंडस्ट्रियल क्रेडिट एवं इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में ज्वॉइन किया था। उस समय यह बैंक नहीं था। साल 1994 में ICICI बैंक बना। चंदा कोचर कोर टीम का हिस्सा बनीं और वह मैनेजमेंट ट्रेनी से सीधे सहायक जनरल मैनेजर बन गईं।
चंदा कोचर मैनेजमेंट ट्रेनी से डिप्टी जनरल मैनेजर बनीं, फिर डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं। साल 2009 में वह बैंक की प्रबंध निदेशक (Managing Director) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनीं। अपने पति की कंपनी को फायदा पहुँचाने के लिए चंदा कोचर ने वीडियोकॉन के साथ मिलकर इस बैंक फ्रॉड को अंजाम दे दिया।