साल 2020 में हुए हिंदू विरोधी दंगों के 6 आरोपितों के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इस दंगे 25 वर्षीय शाहिद उर्फ अल्लाह मेहर नाम के एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी। शाहिद मुस्तफाबाद के गली नंबर 17 का रहने वाला था।
जाँच के दौरान पता चला कि CAA-NRC की लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के नाम पर दंगे की गहरी साजिश रची गई थी। इसके कारण उत्तर दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में कई लोग मारे गए थे और कई घरों-दुकानों एवं वाहनों को जला दिया गया था। ऑपइंडिया ने इस दंगे की गहन ग्राउंड रिपोर्टिंग की थी।
वर्तमान मामला 24 फरवरी 2020 की है। उस दौरान पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में दंगे हो रहे थे। इसी दौरान गोली लगने से शाहिद उर्फ अल्लाह मेहर की मौत हो गई थी। उपराज्यपाल ने मामले की एफआईआर संख्या 84/2020 में अभियोजन की मंजूरी दे दी।
LG Saxena grants sanction for prosecution of six persons accused in North-East Delhi riots
— ANI Digital (@ani_digital) August 6, 2023
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इस मामले में दिल्ली के दयालपुर पुलिस स्टेशन में 1 मार्च 2020 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 505 के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए मोहम्मद फिरोज, चाँद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद आरोपित बनाया गया है।
IPC की धारा 153A मे धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। इसमें तीन साल तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
वहीं, IPC की धारा 505 (1) सार्वजनिक रूप से उकसाने वाले बयानों से संबंधित है। इसमें जनता या जनता के किसी भी वर्ग में शांति भंग करने या डर पैदा करने को शामिल किया जाता है। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर 6 साल तक की सजा दी या जुर्माना या दोनों दो सकते हैं।
इन सभी गिरफ्तार आरोपितों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे दंगों शामिल थे। वे सप्तर्षि इस्पात एंड अलॉय कंपनी की बिल्डिंग में जबरदस्ती घुसे थे और अन्य दंगाइयों के साथ मिलकर वहाँ लूटपाट की थी। इसी दौरान मृतक को छत पर गोली मारी गई थी।
बाद में इस केस को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। जाँच के दौरान यह सामने आया कि प्रदर्शन के कुछ समय पहले से ही मुस्लिम बहुल इलाकों में आपत्तिजनक पम्फलेट बाँटे जा रहे थे। इसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार मुस्लिमों की नागरिकता छिनने का प्रयास कर रही है।