राजस्थान में बढ़ते अपराध के कारण पहले से ही निशाने पर आई अशोक गहलोत की सरकार में अब खनन घोटाला सामने आया है। अंदेशा जताया गया है कि राज्य को इससे लगभग 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। दरअसल, लाइमस्टोन (चूना पत्थर) की माइंस को मार्बल की श्रेणी में डाल कर ‘RDSA माइनिंग’ को आवंटित कर दिया गया। बता दें कि लाइमस्टोन मेजर मिनरल की श्रेणी में आता है, जिसकी नीलामी केंद्र द्वारा तय नियमों के अनुसार होती है।
राजस्थान के खनन विभाग ने प्रतापगढ़ के पिपलखूँट तहसील के दाँता में 74.249 हेक्टेयर और केला-मेला में 10.4162 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले लाइमस्टोन (सीमेंट बनाने में इसका उपयोग होता है) को मार्बल (संगमरमर) दिखा दिया। मार्बल माइनर मिनरल में आता है, इसीलिए इसकी नीलामी में राज्य की ही भूमिका होती है। इस तरह श्रेणी बदल कर दोनों ब्लॉक का आवंटन किया गया। खनन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल और खान निदेशक केबी पांड्या इस मामले में निशाने पर हैं।
1983-85 के बीच खनन विभाग ने एक सर्वे कराया था, जिसमें दोनों ब्लॉक में लाइमस्टोन होने की बात पता चली थी। 24 जुलाई, 2019 को एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में खनिज के उपयोग के हिसाब से इसे लाइमस्टोन की श्रेणी में रखने की सलाह दी। इसके 9 महीने बाद ही 27 फरवरी, 2020 को एक दो सदस्यीय समिति ने इसे मार्बल बताया। फिर ये ब्लॉक मार्बल के लिए आवंटित कर दिए गए।
‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में इसका खुलासा करते हुए कहा है कि सूत्रों के अनुसार, मार्बल के नाम पर खान का आवंटन करके इसका उपयोग लाइमस्टोन में लिया जाएगा। निकलने वाले मिनरल का उपयोग सीमेंट के लिए किया जाएगा, ये शर्त नहीं जोड़ी गई है। आरोप है कि ऐसा कर के एक कंपनी को फायदा पहुँचाया गया है। अधिकारियों का अपने बचाव में कहना है कि मार्बल में माइंस का आवंटन करने से 70% तक रिकवरी होगी, जिससे अधिक राॅयल्टी प्राप्त होगी।
लेकिन, जिस राजस्थान में मार्बल माइंस से 25-30% की ही रिकवरी होती थी है, वहाँ इस तरह एक आँकड़ा देना संदेहास्पद है। नियम कहता है कि जिस खनिज के लिए नीलामी की गई है, उसकी जगह अगर दूसरा खनिज निकलता है तो माइंस को उसी खनिज की श्रेणी में रखा जाएगा, जो निकला है। अधिकारी इसे पारदर्शी और नियमानुसार की गई प्रक्रिया बता रहे हैं। वो घोटाले से इनकार कर रहे हैं।
उधर ये भी खबर आई है कि सत्ताधारी कॉन्ग्रेस के विधायक परसराम मोरदिया के बेटे राकेश मोरदिया और उनकी कंपनी एमजीएम स्टोन एग्रीगेट प्राइवेट लिमिटेड से 273 करोड़ रुपए की वसूली करने के लिए अब खनन विभाग हाईकोर्ट में अपील नहीं करेगा। मतलब, सरकार को इतनी ही रकम का नुकसान उठाना पड़ेगा। विभाग का कहना है कि अटॉर्नी जनरल की सलाह के बाद ये फैसला लिया गया है।