मतगणना के लिए निर्वाचन आयोग कई तरह की सावधानियाँ बरतेगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो इसके लिए कई बंदोबस्त किए जा रहे हैं। मतगणना के लिए अधिकारी जन वाई-फाई के माध्यम से इंटरनेट का प्रयोग नहीं करेंगे। इसके अलावा ईवीएम के वोट और VVPAT (वोटर वेरिफिकेशन पेपर ऑडिट ट्रेल) की पर्चियों की गिनती करने के लिए दो अलग-अलग टीम बनाई गई हैं। इन्हीं कारणों से चुनावी नतीजों के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ सकता है।
ख़बर के अनुसार, दिल्ली की सात लोकसभा सीटों की मतगणना के लिए सात मतगणना स्थल उसी लोकसभा क्षेत्र में बनाए गए हैं। वोटिंग के बाद स्ट्रांग रूम में बंद ईवीएम को त्रिस्तरीय सुरक्षा में रखा गया है। इसके अलावा पूरे परिसर पर सीसीटीवी के ज़रिए नज़र रखी जा रही है। किसी भी तरह की गड़बड़ी न होने पाए इसके लिए दिल्ली मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रशिक्षण के दौरान अपने मतगणना कर्मियों समेत चुनाव अधिकारियों को कई दिशानिर्देश जारी किए हैं।
निर्देशानुसार, चुनाव अधिकारी आधिकारिक कार्यों के लिए जो भी इंटरनेट सेवा लेंगे, वो वाई-फाई से कनेक्टेड नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें तार के ज़रिए इंटरनेट कनेक्शन लेना होगा। चुनाव अधिकारी ने इस बात की भी जानकारी दी कि मतगणना के दौरान अगर एक पोलिंग स्टेशन के ईवीएम में डाले गए वोट और VVPAT में मिली पर्चियों की संख्या में भिन्नता पाई गई तो वो घबराने वाली बात नहीं होगी, क्योंकि मतगणना कर्मियों को बता दिया गया है कि उन्हें पहले मतों के अंतर का पता लगाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि मतदान से पहले हमेशा ईवीएम की जाँच के लिए पीठासीन अधिकारी मॉक पोल करते हैं, इसके तहत 50 वोट डाले जाते हैं। उस वक़्त भी ईवीएम में वोटों की गिनती की जाती है।
दिल्ली की सात लोकसभा सीट से प्रत्येक के 50 पोलिंग स्टेशनों के वीवीपीएटी की पर्चियों का मिलान ईवीएम में डाले गए मतों से किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली में लोकसभा की सात सीट हैं, एक लोकसभा सीट में 10 विधानसभा सीट हैं। हर विधानसभा सीट से 5 पोलिंग स्टेशन के वीवीपीएटी की पर्चियों की संख्या का मिलान वहाँ ईवीएम में डाले गए मतों से किया जाएगा। इस प्रकार, पूरी दिल्ली में कुल 350 पोलिंग स्टेशन के वीवीपीएटी की पर्चियों की गिनती की जाएगी। इस प्रक्रिया के चलते चुनाव के परिणाम में देरी हो सकती है।