लखनऊ में एक मुस्लिम महिला मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ किए जाने की घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि सायरा बानो के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उनके परिजन करीब 100 लोगों के साथ लखनऊ के केजीएमयू की लारी कार्डियोलॉजी में घुस आए और जमकर उपद्रव किया। इसके बाद डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया।
डॉक्टरों का दावा, महिला ‘ब्रेनडेड’ हालत में लाई गई
डॉक्टरों का दावा है कि सायरा बानो को जब रात में अस्पताल लाया गया तो वह ‘ब्रेनडेड’ हालत में थीं- यानी उनका दिमाग पहले से ही मृत था। इसके बावजूद परिजनों की तसल्ली के लिए पेसमेकर भी लगाया गया। लेकिन फिर भी तीमारदार संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। डॉक्टरों-कर्मचारियों के लाख समझाने पर भी वेनहीं माने।
देखते-ही-देखते वो अपने साथ एक भीड़ ले आए, जिसकी संख्या विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में 50 से लेकर 100 तक बताई जा रही है। भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ और मारपीट शुरू कर दी, जिसके बाद अस्पताल के कर्मचारियों में अफ़रा-तफ़री मच गई। अधिकांश डॉक्टरों ने क्लोक रूम में छिप कर जान बचाई, वहीं दो डॉक्टरों को बाथरूम में शरण लेनी पड़ी। तीमारदारों को शांत करने के लिए 3 थानों की पुलिस लगानी पड़ी। कुछ मीडिया रिपोर्टों में तो दावा किया गया है कि भीड़ का आवेश इतना उग्र था कि पुलिस भी लाचार खड़ी देखती ही रही। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पुलिस के सामने भी तीमारदारों का दुर्व्यवहार जारी रहा।
डॉक्टरों ने काम रोका
हिंसा से बिफरे रेजिडेंट डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएँ ठप कर दीं। गंभीर हृदय रोगियों को ट्रॉमा सेंटर ले जाने को कह दिया गया। ओपीडी सेवाएँ देर से शुरू हुईं, और इमरजेंसी सेवाएँ शाम तक बाधित रहीं। शाम को जब कार्डियोलॉजी के बाहर पीएसी तैनात कर दी गई और प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस चौकी लगाने का आश्वासन दिया, तब जाकर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएँ शुरू कीं।