2004 में मध्य प्रदेश के जबलपुर एक 30 साल के व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी। इस व्यक्ति का ‘कसूर’ बीजेपी समर्थक होना था। अपने घर पर बीजेपी का झंडा लगाना था। उसे गोली मारने वाला दबंग काॅन्ग्रेस से जुड़ा था। 19 साल बाद इस हत्यारे को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस बीच हत्यारा खुद को पागल बताकर कानून को झाँसा देता रहा। पागल होने के उसके नाटक की पोल भी कोर्ट की सख्ती के बाद हुई जाँच से ही खुली थी।
उम्रकैद की सजा पाने वाले हत्यारे का नाम नन्हू उर्फ घनश्याम पटेल है। उस पर आरोप था कि उसने साल 2004 में भाजपा का झंडा लगाने से नाराज होकर 30 वर्षीय रवींद्र पचौरी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। नन्हू कॉन्ग्रेस पार्टी का समर्थक था। उसने लोगों को BJP का झंडा नहीं लगाने की चेतावनी दी थी।
दैनिक भास्कर के मुताबिक मामला जबलपुर के पाटन विधानसभा क्षेत्र का है। यहाँ के गाँव चंदवा में घनश्याम पटेल 2004 के लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए वोट माँग रहा था। कॉन्ग्रेस समर्थकों ने किसी को भी भाजपा का न तो झंडा लगाने और न ही वोट देने की चेतावनी जारी की थी। इसी गाँव का 30 वर्षीय रवींद्र पचौरी भाजपा समर्थक था। उसने घर पर बीजेपी का झंडा लगा रखा था। इसी बात से नाराज हो कर 28 अप्रैल 2004 को नन्हू रायफल ले कर रविंद्र के घर पहुँचा और उसे गोली मार दी।
रवींद्र के घर पहुँचकर नन्हू उर्फ़ घनश्याम पटेल ने सबसे पहले उसकी माँ को गालियाँ दी। फिर रवींद्र को गोली मारी। इसके बाद रायफल को मिट्टी में दबा दिया। मामले ने तूल पकड़ा और पुलिस ने 30 अप्रैल 2004 को घनश्याम पटेल को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने रायफल और कारतूस भी बरामद कर लिया। हत्या की धारा 302 के साथ आर्म्स एक्ट की धारा 27 में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
लेकिन 224 दिनों तक जेल में रहने के बाद घनश्याम पटेल को जमानत मिल गई थी। जमानत के लिए उसके परिजनों ने कुछ कागजात पेश किए। इन कागजातों में उसे मानसिक बीमार बताते हुए इलाज चलने का दावा किया गया था। कोर्ट को यह भी बताया गया कि हत्या के बाद भी उसे मानसिक बीमारी की दवाएँ दी जा रही है। जेल में भी उसका इलाज हो रहा है। बेहतर इलाज के लिए जमानत भी मिल गई।
इसके बाद घनश्याम पटेल की पत्नी जबलपुर हाईकोर्ट चली गई। पति को मानसिक तौर पर बीमार बताकर उसके खिलाफ ट्रायल रोकने की माँग की। हाई कोर्ट ने आरोपित की मानसिक हालत की जाँच करवाने का आदेश दिया। जाँच करने वाली जबलपुर मेडिकल कॉलेज की 5 डॉक्टरों की टीम को डॉ. आफताब अहमद खान लीड कर रहा था। हाई कोर्ट को दी रिपोर्ट में पटेल को सीजोफ्रेनिया नाम की बीमारी से पीड़ित बताया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगा दी।
इसके बाद मृतक के परिजनों ने ट्रायल शुरू करने की गुहार लगाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अदालत को बताया कि पटेल अपने नाम से लोन ले रहा है। गाड़ी फाइनेंस करवा रहा है। हथियार का लाइसेंस बनवा रहा। काॅन्ग्रेस का प्रचार कर रहा है। शादी समारोह में शिरकत कर रहा है। इसके बाद हाई कोर्ट ने फिर से उसकी मानसिक स्थिति की जाँच के आदेश दिए। इस बार उसे जबलपुर में डाक्टरों की टीम ने 10 दिनों तक ऑब्जर्वेशन में रखा और कोर्ट को बताया कि वह पागल नहीं है।
इस रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर 2020 में पाटन एडिशनल सेशंस जज की कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ। तीन साल चले ट्रायल के दौरान मामले के तीन विवेचकों और 15 गवाहों के बयान दर्ज हुए हुए। आखिरकार 27 जून 2023 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार ने आरोपित नन्हू उर्फ घनश्याम पटेल को रवींद्र की हत्या का दोषी पाया। 30 जून को अदालत ने उसे आजीवन कारावास और 6 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।