Friday, November 15, 2024
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दिल्ली की कंपनी, पिपरिया के किसान, कंप्लेन हुई तो 24 घंटे के भीतर खरीदना पड़ा धान: नए कृषि कानून की उपज यह भी

10 दिसंबर को पिपरिया के किसान पुष्पराज पटेल और बृजेश पटेल ने दिल्ली की कंपनी द्वारा धान नहीं खरीदे जाने पर शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए एसडीएम नितिन टाले ने कंपनी को तलब किया और 24 घंटे के भीतर जवाब माँगा। इसके बाद कंपनी धान की खरीद पर राजी हो गई।

एक तरफ किसान दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा क़ानून के अंतर्गत पहली कार्रवाई की गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर किसानों के अधिकार के संबंध में हुई इस कार्रवाई की जानकारी दी है।  

मामला मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिला स्थित पिपरिया क्षेत्र का है। दिल्ली की कंपनी (फॉर्च्यून राइस लिमिटेड) ने अनुबंध होने के बावजूद धान नहीं खरीदा। नतीजतन किसानों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की और इसके बाद जिला प्रशासन ने कंपनी को आदेश दिया कि वह मंडी के उच्चतम दाम पर धान खरीदे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस त्वरित कार्रवाई पर जिला प्रशासन की सराहना की है।  

एमपी के मुख्यमंत्री के मुताबिक़ इस क़ानून का उद्देश्य अन्नदाताओं के हितों की रक्षा करना है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस क़ानून की वजह से महज़ 24 घंटे के भीतर किसानों को न्याय मिला है। इसमें जिला प्रशासन की भूमिका सराहनीय है, उन्होंने इस कार्रवाई से किसानों के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए कृषि क़ानूनों को लेकर प्रदेश के किसानों की जागरूकता पर प्रसन्नता जताई। 

दरअसल 10 दिसंबर को पिपरिया के किसान पुष्पराज पटेल और बृजेश पटेल ने दिल्ली की कंपनी द्वारा धान नहीं खरीदे जाने पर शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करते हुए एसडीएम नितिन टाले ने कंपनी को तलब किया और 24 घंटे के भीतर जवाब माँगा। नए क़ानून के प्रावधानों के आधार पर किसान और कंपनी के बीच समाधान के लिए बोर्ड का गठन किया किया गया और कंपनी ने धान की फसल 2960 रुपए/क्विंटल (उच्चतम मूल्य) और 50 रुपए/क्विंटल बोनस पर खरीदने के लिए सहमति जताई। यानी सिर्फ 24 घंटे के भीतर किसानों को नए कृषि क़ानूनों की वजह से न्याय मिल गया। 

कंपनी ने 3 जून 2020 को किसानों से अनुबंध किया था जिसके अंतर्गत उन्हें किसानों के धान की फसल मंडी के उच्चतम मूल्य पर खरीदनी थी। कंपनी ने कुछ समय तक अनुबंध के तहत धान खरीदा लेकिन मंडी में धान का भाव 3 हज़ार रुपए/क्विंटल हुआ तो उन्होंने खरीद बंद कर दी। इसके बाद किसानों ने कंपनी से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की। 

जिला प्रशासन ने जल्द ही कृषि विभाग से संपर्क किया। विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अधिनियम (Contract Farming Act) की धारा 14 के अंतर्गत कार्रवाई का आदेश दिया। नतीजतन कंपनी के निदेशक अजय भलोटिया ने जवाब दिया फिर समझौता बोर्ड का गठन किया गया और बोर्ड के सदस्य किसानों के प्रतिनिधि और तहसीलदार बनाए गए। बोर्ड के साथ बातचीत होने के बाद कंपनी ने धान उच्चतम मूल्य पर खरीदने की बात कही। कंपनी के निदेशक ने इस बात को स्वीकार किया कि धान की कीमत बढ़ने के बाद खरीद बंद कर दी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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