महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख 6 नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं। उन्हें 100 करोड़ रुपए की वसूली मामले और मनी लॉन्ड्रिंग केस में 1 नवंबर को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था। अब आगे की पड़ताल में पता चला है कि देशमुख अलग-अलग नामों से 27 कंपनियाँ चला रहे थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन 27 कंपनियों में से 13 कंपनियाँ ऐसी थीं जो राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, उनके बेटे सलिल और ऋषिकेश के सीधे कंट्रोल में थीं। लेकिन, 14 ऐसी कंपनियाँ हैं, जो अनिल देशमुख के करीबियों के कंट्रोल में संचालित हो रही थीं।
ईडी ने बताया कि इन कंपनियों के बीच में लगातार लेन-देन हुआ है। इनका इस्तेमाल देशमुख ने गलत ढंग से कमाए पैसों के लिए किया था। पूरे केस में फॉरेन एंगल को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा बैलेंस शीट और बैंक अकॉउंट चेक करने पर पता चला कि हकीकत में कुछ कंपनियाँ तो वास्तव में किसी व्यवसाय को भी नहीं कर रहीं। उनका उपयोग सिर्फ पैसा घुमाने के लिए किया जा रहा था।
जाँच में यह बात भी सामने आई कि पैसे को एक शेल कंपनी के नाम पर ट्रांसफर किया गया और फिर उसे नागपुर स्थित एक चैरिटेबल ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्था के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया, जिसे देशमुख के परिवार द्वारा संचालित किया जा रहा था।
मालूम हो कि इसी लेन-देन को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग माना है और देशमुख की गिरफ्तारी के साथ उनकी पत्नी और बेटे को भी समन किया है। ये दोनों अभी तक पेश नहीं हुए हैं, लेकिन मामले के खुलासे के बाद से ईडी की कार्रवाई चल रही है। पिछले 15 दिनों में देशमुख और उनके परिवार की 4.2 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया गया है। इसके अलावा देशमुख की उस याचिका को भी रद्द किया गया है जिसमें उनके द्वारा ईडी का समन रद्द करने की माँग की गई थी। इस मामले में देशमुख के पीए संजीव पलांडे औ पीएस कुंदर शिंदे को गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री व एनसीपी नेता अनिल देशमुख को 100 करोड़ रुपए की वसूली केस और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद PMLA विशेष अदालत ने 6 नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया था। उनकी गिरफ्तारी 12 घंटे पूछताछ के बाद सोमवार को हुई थी। उन्हें प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 19 के तहत गिरफ़्तार किया गया था।