Sunday, November 17, 2024
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महाराष्ट्र के मीरा भयंदर में 8 रोहिंग्या मुस्लिम गिरफ्तार, बिना वैध कागजात के मछली पकड़ने का करते थे काम: बोले- जम्मू-कश्मीर में रहता है उनका परिवार

महाराष्ट्र पुलिस ने गुरुवार (29 फरवरी 2024) को भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यांमार के 8 रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने कहा कि इन अवैध घुसपैठियों को 26 फरवरी 2024 को उत्तान सागरी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन पर विदेशी अधिनियम के साथ-साथ भारती पासपोर्ट अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए है।

महाराष्ट्र पुलिस ने गुरुवार (29 फरवरी 2024) को भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यांमार के 8 रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने कहा कि इन अवैध घुसपैठियों को 26 फरवरी 2024 को उत्तान सागरी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन पर विदेशी अधिनियम के साथ-साथ भारती पासपोर्ट अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए है।

जिन आठ लोगों को पुलिस ने पकड़ा है, उनकी पहचान हामिद हुसैन अली अकबर (55), नूरुल अमीन यूसुफ अली (52), अली हुसैन अब्दुल सोबी (49), अमीर हुसैन असद अली (42), मोहम्मद जौहर नूर मोहम्मद (39), कमाल हुसैन नूर कमाल (35), मोहम्मद जाकिर हुसैन अबू आलम (30) और इमाम हुसैन अब्दुल कासिम (25) के रूप में हुई है।

उत्तान सागरी पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने कहा, “एक गुप्त सूचना पर उन्हें चौकगाँव मछली पकड़ने के घाट से गिरफ्तार किया गया है। वे वैध दस्तावेजों के बिना एमबीवीवी पुलिस सीमा में रह रहे थे। आगे की जाँच चल रही है।” इससे पहले पुलिस ने इन्हें पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वे चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहे थे। ये सभी हिंदी बोलने में निपुण हैं।

अवैध रूप से भारत में रह रहे इन रोहिंग्याओं ने दावा किया कि वे शरणार्थी हैं, जो मछली पकड़ने वाली नौकाओं में सहायक के रूप में नौकरियों की तलाश में तटीय क्षेत्र में आए थे। इसके बाद पुलिस ने नई दिल्ली में म्यांमार के दूतावास से संपर्क स्थापित किया और उनके बारे में अप्रवासी विवरण माँगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके परिवार जम्मू-कश्मीर में रहते हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र में म्यांमार के नागरिकों के वीजा-मुक्त प्रवेश पर पूर्ण रोक लगाने के लिए फ्री मूवमेंट रिजिम (एफएमआर) को तत्काल निलंबित करने की सिफारिश की है। इस बीच, अवैध अप्रवासियों को ठाणे की जिला सत्र अदालत में पेश करने के बाद पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। आगे की जाँच चल रही थी।

बता दें कि बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से भारत में घुसे रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी मुस्लिम अब देश के लिए नासूर बनते जा रहे हैं। वे ना सिर्फ अवैध रूप से देश में घुसकर काम-काज कर रहे हैं, बल्कि खुद को यहाँ का निवासी साबित करने के लिए आधार और वोटर कार्ड जैसे फर्जी दस्तावेज भी बना रहे हैं। अब वे मृत लेगों के आधार और वोटर कार्ड आदि दस्तावेज अपने नामों पर हस्तांतरण करा रहे हैं।

ये घुसपैठिए भारत के अलग-अलग राज्यों में छिप कर रह रहे हैं और अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसे लोगों के पहचान पत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। इन नामों से ये घुसपैठिए ना सिर्फ अपना कारोबार चला रहे हैं कि बैंकों में खाते भी खुलवा लिए हैं। इस तरह के मामले सामने आने के बाद खुफिया एजेंसियाँ भी सतर्क हो गई हैं।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) सहित भारत की अन्य एजेंसियों को हाल ही में इस तरह के कई सबूत मिले हैं, जिनमें इन्हें अवैध रूप से भारत में लाकर अलग-अलग राज्यों में बसाने वाले गिरोह का पता चला है।ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है। कुछ बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या मुस्लिमों को राज्य के विभिन्न जगहों से पकड़ा भी गया है।

हाल ही में यूपी एटीएस ने विदेशी फंडिंग लेकर अवैध घुसपैठियों की मदद करने वाले एक सिंडीकेट से जुड़े कुछ लोगों को पकड़ा था। कानपुर से पकड़े गए गिरोह के सक्रिय सदस्य और बांग्लादेश निवासी  मोहम्मद राशिद अहमद ने पूछताछ में बताया कि उसने पाँच अन्य बांग्लादेशियों को फर्जी दस्तावेजों की मदद से पहचान बदलकर देवबंद में ठिकाना दिलाया था।

इससे पहले पकड़े जा चुके बांग्लादेशी आदिलुर्रहमान को भी फर्जी दस्तावेज राशिद ने ही उपलब्ध कराए थे। एटीएस ने विदेशी फंडिंग के मास्टरमाइंड और एनजीओ चलाने वाले अबू सालेह मंडल को बीते दिनों लखनऊ से पकड़ा था। वह अपने एनजीओ में विदेशी फंडिंग लेता था और अवैध घुसपैठियों को भारत में बसाने में उनकी मदद करता था।

अबू सालेह ने ATS को बताया कि वह हरोआ-अल जमियातुल इस्लामिया दारूल उलूम मदरसा और कबीरबाग मिल्लत एकेडमी नाम से दो ट्रस्ट चलाता है। इन ट्रस्टों के FCRA खातों में ब्रिटेन के उम्मा वेलफेयर ट्रस्ट से साल 2018-22 तक लगभग 58 करोड़ रुपए आए। उम्मा ट्रस्ट को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और उनकी मदद करने के कारण अमेरिका प्रतिबंधित कर चुका है।

उधर, दैनिक भास्कर ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि NIA ने कार्रवाई करते हुए तमिलनाडु में मोहम्मद सोरीफुल बाबू मियां, शहाबुद्दीन हुसैन और मुन्ना उर्फ नूर करीम को गिरफ्तार किया था। ये तीनों लंबे समय से बांग्लादेश से भारत में लाए गए रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड, मार्कशीट आदि बनाकर देते थे।

इन तीनों ने पूछताछ में बताया कि रोहिंग्या मुस्लिमों को भारतीय पहचान देने के लिए वे मृतकों के दस्तावेज इस्तेमाल करते हैं। NIA को ऐसे लोगों की सूची आरोपितों से मिले हैं। इसकी पड़ताल और फर्जी दस्तावेज पर रह रहे घुसपैठियों की पहचान की जा रही है। NIA की जाँच में तमिलनाडु, हरियाणा, असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, जम्मू सहित कई राज्यों में रोहिंग्या घुसपैठियों के रहने की जानकारी मिली है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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