मणिपुर में मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने का आदेश वहाँ की हाईकोर्ट ने दिया, जिसके बाद ईसाई जनजाति समुदाय के लोग उग्र हो गए और दंगे करने लगे। मैतेई समाज के लोगों के घरों को निशाना बनाया गया। आगजनी की गई, पत्थरबाजी हुई। बताया जा रहा है कि दंगों में AK-47 बंदूकों का इस्तेमाल किया गया। हालाँकि, अब भारतीय सेना ने कहा है कि सभी सुरक्षा बलों ने मिल कर स्थिति को नियंत्रित कर लिया है।
चूड़ाचंदपुर में खासकर के स्थिति ज़्यादा बिगड़ गई। सुरक्षा बल मिल कर रात भर लोगों को निकाल कर सुरक्षित जगहों पर पहुँचाने में लगे रहे। राज्य में सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जाएगी। नॉर्थ-ईस्ट राज्य में तनाव को देखते हुए मणिपुर जाने वाली सभी फ्लाइट्स और ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। कुछ फर्जी वीडियो भी शेयर हो रहे हैं, जैसे ‘असम राइफल्स’ के पोस्ट पर हमला करने वाला वीडियो। भारतीय सेना ने केवल आधिकारिक स्रोतों पर ही भरोसा करने की सलाह देते हुए कहा कि अपना हित साधने के लिए लोग इस तरह का दुष्प्रचार कर रहे हैं।
नागा और कुकी समुदाय के पहाड़ी लोग इस हिंसा में शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर ईसाई हैं। ‘ट्राइबल चर्चेज लीडर्स फोरम’ ने ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM)’ द्वारा शुरू किए गए विरोध प्रदर्शन को समर्थन किया था, जिसके बाद ये हिंसा शुरू हुई। मैतेई समाज को आरक्षण मिलने के विरोध में आयोजित इस मार्च के बाद से ही दंगे शुरू हुए। मैतेई समाज मणिपुर की 53% जनसंख्या है, लेकिन इसके बावजूद हाईकोर्ट के खिलाफ जाकर दंगे किए जा रहे हैं।
मिजोरम की सरकार ने भी एक बयान जारी कर के मणिपुर में रहने वाली ‘जो’ ट्राइब की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। असम के कछार जिले में कई पीड़ित शरण लेने पहुँचे हैं, जिनकी हिफाजत के लिए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है। मणिपुर की सरकार ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की जिम्मेदारियों में भी कुछ बदलाव किए हैं। इंटरनेट सेवाएँ अब तक बंद रखी गई हैं। ‘रैपिड एक्शन फ़ोर्स (RAF)’ को मामला शांत करने के लिए लगाया गया है।
दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। मजिस्ट्रेट को ये अधिकार दिया गया है कि चेतावनी के बावजूद न मानने पर देखते ही गोली मारी जा सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर और पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की है। 9000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला गया है। असल में मेइती समाज 53% जनसंख्या होने के बावजूद राज्य के 10% इलाके में ही सीमित है, क्योंकि उन्हें पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने के अधिकार नहीं हैं।
Now, the situation is this. Meetei is 55% of the state and have no control of what's happening in the state unless they have access to their whole state. If they want better privileges, they need ST status. And when a 90% Mizo christian community can be ST, why not Meetei?
— Eztainutlacatl (@cbkwgl) May 4, 2023
कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस मामले को भी राजनीति में घसीटने की कोशिश शुरू कर दी है। पत्रतय नेता जयराम रमेश ने कहा कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने के 15 महीनों के भीतर ये सब हो रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि इस सुंदर राज्य को बचाने की ज़रूरत है, राजनीति और चुनावों से ऊपर उठ कर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने कर्नाटक चुनावी दौरों को भी रद्द कर दिया है, ताकि इस स्थिति पर ध्यान दे सकें।