राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने मनसुख हिरेन की हत्या मामले में नया खुलासा किया है। एनआईए की विशेष अदालत को एजेंसी ने बताया है कि उसे इस मामले में 45 लाख रुपए की फंडिंग का संदेह है। साथ ही बताया है कि लाल रंग की टवेरा कार में हत्या करने के आरोपित नेपाल भाग गए थे।
इसी साल 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित घर (एंटीलिया) के बाहर से एक विस्फोटक लदी कार मिली थी। यह कार हिरेन के नाम थी जिसकी चोरी होने की उन्होंने
मिड डे की रिपोर्ट के मुताबिक NIA ने बताया कि उसे सीसीटीवी फुटेज मिला है, जिसमें हत्यारोपित चार मार्च को ठाणे के घोडबांदर रोड पर मनसुख के साथ देखे गए। आरोपित सतीश मुटकोरी और मनीष सोनी को पेश करते हुए एजेंसी ने उनकी हिरासत बढ़ाने की माँग की। एजेंसी ने कहा कि 45 लाख रुपए के लेनदेन के साक्ष्य मिले हैं। आशंका है कि इन पैसों का इस्तेमाल हिरेन की हत्या के लिए किया गया, क्योंकि वह बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे का आदेश नहीं मान रहा था। NIA के अनुसार 45 लाख रुपए की फंडिंग बहुत छोटी रकम है, संदेह है कि इसमें करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। इस मामले में कुछ और लोग संलिप्त हैं, जिनके बारे में जानकारी हासिल किए जाने की जरूरत है।
इसके बाद कोर्ट ने सतीश और मनीष की NIA हिरासत पाँच जुलाई तक बढ़ा दी। अदालत में बहस के दौरान लोक अभियोजक ने कहा कि मनसुख हत्याकांड के आरोपित के हवाले से 35 हजार रुपए बरामद हुए हैं। कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह राशि बड़ी नहीं है। इस पर लोक अभियोजक ने कहा कि यहाँ पाँच हजार रुपए के लिए हत्या हो जाती है, ऐसे में NIA जानना चाहती है कि आरोपित के पास 35 हजार रुपए कहाँ से आए।
एनआईए ने यह भी बताया कि इस मामले में गिरफ्तार पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा ने आरोपी संतोष शेलार, आनंद जाधव, सतीश और मनीष को फर्जी सिम कार्ड मुहैया कराए थे। इसके अलावा सतीश, मनीष, सतीश और आनंद हत्या के बाद छुपने के लिए नेपाल भी गए थे। एनआईए अब यह पता लगा रही है कि आखिर ये यात्रा करना इनके लिए कैसे संभव हुआ।
एनआईए के सूत्रों ने बताया कि उन्हें एक सीसीटीवी मिला है जो ठाणे के घोडबंदर इलाके का है। उस फुटेज में दिखाई दे रहा है कि लाल रंग की टेवरा गाड़ी खड़ी है और गाड़ी के बाहर संतोष शेलार गाड़ी से टेक लगाकर खड़ा है और तभी दूरी से कार आती है जिसमें से मनसुख को निकालकर टवेरा गाड़ी में बैठा दिया जाता है। टवेरा में बैठाते समय संतोष मनसुख के पीठ पर हाथ से थपथपाते हुए भी दिखाई पड़ता है। एनआईए इसे काफी अहम सबूत मानती है जिसमें यह साबित होता है कि हत्या के समय सारे आरोपित वहीं मौजूद थे।