उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक दशक पहले गायब हुए एक गणित टीचर को पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश की सीमा पर पाया गया है। उत्तर 24 परगना के पेत्रपोल बॉर्डर पर करीब 40 साल का ये युवक गीली मिट्टी पर लड़की की डंडी से गणित की पहेलियों को सुलझा रहा था। अब स्थानीय रेडियो स्टेशन के संचालक की मदद से उस टीचर के परिवार को ढूँढ कर उसे परिवार के हवाले कर दिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, युवक का नाम अमित कुमार प्रसाद है, जो गोरखपुर में बच्चों को गणित पढ़ाते थे। वो एक दशक पहले गायब हो गए थे। घरवालों ने उसे काफी खोजा, लेकिन वो नहीं मिला था, जिसके बाद परिजन निराश हो चुके थे, लेकिन कुछ समय पहले भारत-बांग्लादेश सीमा पर उत्तर 24-परगना में पेत्रपोल के पास युवक दिखा। वो एक पेड़ के नीचे गीली मिट्टी में लकड़ी से गणित के सवाल हल कर रहा था। उसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
इस दौरान स्थानीय लोगों ने जब अमित कुमार प्रसाद से उनके बारे में पूछा, तो अमित ने हिंदी में जवाब दिया, “मुझे अकेला छोड़ दीजिए, मुझे गणित हल करना है।” इसके बाद लोगों ने पुलिस को सूचना दी।
स्थानीय पुलिस ने रेडियो संचालक परिमल रॉय की मदद से अमित कुमार प्रसाद के परिजनों को ढूँढ निकाला और परिवार को मिलाया। सोमवार को अमित कुमार के पिता गामा प्रसाद गोरखपुर से पेत्रपोल पहुँचे, और थाने में अमित को गामा प्रसाद के हवाले कर दिया गया।
गामा प्रसाद ने कहा, “स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के अलावा, मेरा बेटा कम से कम पाँच पड़ोसी गाँवों के 250 से ज्यादा गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता था। वो गणित विषय का काफी शौकीन था। धीरे-धीरे वो मानसिक बीमारी की चपेट में आ गया और एक दिन गायब हो गया। हमने उसकी काफी तलाश की, लेकिन वो नहीं मिला। हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वो इतने सालों तक जिंदा भी होगा और फिर मिल जाएगा।”
शौकिया तौर पर रेडियो स्टेशन चलाने वाले परिमल रॉय ने मीडिया को बताया, “स्थानीय लोगों ने उन्हें (टीचर) गीली मिट्टी पर गणित के फॉर्मूले लिखते और समीकरण सॉल्व करते देखा। पहचान पूछी पर जवाब नहीं मिला। आगे पूछा गया तो उन्होंने हिंदी में कहा कि अकेला छोड़ दीजिए, मुझे गणित हल करना है।” इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। गणित के इस टीचर के घर पर जश्न का माहौल है।
पश्चिम बंगाल रेडियो क्लब के सचिव अंबरीश नाग बिस्वास ने बताया: “पुलिस ने प्रसाद के परिवार का पता लगाने में मदद के लिए हमसे संपर्क किया। मैंने उस व्यक्ति से बात की और उसके परिवार की तलाश शुरू करने के लिए पूरे भारत में हैम (शौकिया) रेडियो ऑपरेटरों के नेटवर्क में उसकी तस्वीर प्रसारित की। बाद में, हमने उसके पिता से संपर्क किया।”