जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निष्फल होने के बाद बिहार के अधिकतर प्रवासियों को वहाँ के समुदाय विशेष के स्थानीय लोगों द्वारा डरा-धमका कर भगाया जा रहा है। विडंबना यह कि इन प्रवासी कर्मियों में अधिकतर दूसरे मजहब वाले ही हैं। राहुल पंडिता द्वारा ओपन मैग्जीन में लिखे गए लेख में इस संबंध में बताया गया है कि बिहार के प्रवासी इन दिनों हड़बड़ी में कश्मीर को हजारों की तादाद में छोड़ने के लिए मजबूर हैं।
जानकारी के मुताबिक एक 56 वर्षीय व्यक्ति सुरेंद्र महतो बताते हैं कि वहाँ के स्थानीय लोगों ने उन्हें गाली दी और वहाँ से जाने के लिए मजबूर किया। महतो की मानें तो उन्हें ऐसा नहीं करने पर मार देने की धमकी भी दी गई।
Thousands of migrant workers flee Kashmir following hate crimes and threats by local Muslims: Reporthttps://t.co/de4ZV8ZVxp
— OpIndia.com (@OpIndia_com) August 8, 2019
वहीं, 25 वर्षीय असलम बताते हैं कि श्रीनगर में रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे मारपीट की और उनका बैग लेकर कहा, “भागो बिहारी इधर से।”
एक दूसरे प्रवासी का कहना है कि पिछली रात एक स्थानीय कश्मीरी उनके पास आया और कहा, “अगर तुम मुझे कल दिखे तो मैं तुम्हें मारूँगा और केरोसीन से जला दूँगा।”
गौरतलब है कि इनमें से अधिकतर प्रवासी कश्मीर की ओर वहाँ के ठंडे मौसम के कारण रुख करते हैं, साथ ही उनका मानना होता है कि वो कश्मीर में अन्य जगहों के मुताबले ज्यादा बचत कर पाएँगे। लेकिन कश्मीर में जीवनयापन की संभावनाएँ ढूँढने वाले लोगों की ऐसी दुर्दशा देखकर कश्मीरी अलगाववाद के काले सच का पता चलता है, जो नस्लीय और धार्मिक वर्चस्व का एक विषैला मिश्रण है।