ईश्वर के दरबार में अमीर हो या गरीब सभी को समान रूप से देखा जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल में स्थित माँ विंध्यवासिनी मंदिर में जिला प्रशासन ने वीआईपी कल्चर लागू कर दिया। वीआईपी लोगों के लिए माँ के दर्शन करने के लिए अलग से एक लाइन रखी गई और उसमें टोकन की भी व्यवस्था की गई, ताकि वीआईपी श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो। इसकी वजह से मंदिर में आनी वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से समस्याएँ बढ़ती जा रही थीं। इसके बाद भाजपा के स्थानीय विधायक रत्नाकर मिश्रा ने जिला प्रशासन के वीआईपी रास्ते को आम जनता के लिए खुलवा दिया।
जिला प्रशासन के इस फैसले पर शुरू से ही विवाद खड़ा हो गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मंदिर का प्रबंधन देखने वाली संस्था और संतों के साथ सिटी मजिस्ट्रेट विनय कुमार और सीओ सिटी प्रभात राय ने मंदिर को पंडों के साथ एक बैठक की थी। इस दौरान मंदिर के प्रवेश द्वार को दो भागों में बाँटने का निर्णय लिया गया था। इसमें से एक रास्ते को वीआईपी लोगों के रिजर्व करने का निर्णय जिला प्रशासन ने लिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक के दौरान प्रशासन ने मंदिर में सुबह चार बजे से शाम के चार बजे तक श्रद्धालुओं द्वारा माँ विंध्यवासिनी का चरण स्पर्श करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा किसी भी वीआईपी को अंदर जाने देने से पहले उसे प्रशासनिक भवन पर नाम-पता, पद व मोबाइल नंबर दर्ज कराना होता था। उनके तीर्थ पुरोहित को भी अपना विवरण दर्ज कराना होता था। इसके बाद मुहर लगी टोकन दी जाती थी, जिसे अंदर जाते वक्त गेट पर ले लिया जाता था। इसका शाम को मिलान भी किया जाता था कि जो अंदर गया था वो लौटा या नहीं। मंदिर तक वाहन नहीं पहुँच सके, इसके लिए 8 बैरियर भी लगाए गए थे।
विंध्यवासिनी मंदिर का रास्ता है संकरा
गौरतलब है कि विंध्यवासिनी मंदिर की महिमा और प्रसिद्धि के कारण दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। इसकी वजह से मंदिर में भारी भीड़ हो जाती है, जबकि मंदिर और इसका परिसर बहुत छोटा है। इसकी वजह से दर्शन के लिए आने वालों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा मंदिर में एक लाइन वीआईपी के लिए आरक्षित करना समस्या को और बढ़ाने जैसा था।