एक नाबालिग दलित लड़की को शादी के बहाने पश्चिम बंगाल से अगवा कर मार्च में नई दिल्ली ले जाने और फिर राजस्थान में बेचने की फ़िराक में लगे मोहम्मद सलाउद्दीन को देशव्यापी लॉकडाउन के बीच बेहद नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर बालिका को बचा लिया गया है।
राष्ट्रीय बाल आयोग, दिल्ली पुलिस और दिल्ली स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा अप्रैल में एक संयुक्त अभियान के जरिए लड़की को मोहम्मद सलाउद्दीन के चंगुल से सुरक्षित बचाया गया। इसके लिए NGO की टीम के स्वयंसेवकों ने मुफ्त राशन वितरित करने के नाम पर अपहरणकर्ता के लिए जाल बिछाया।
स्वराज्य की एक रिपोर्ट में इस घटना का खुलासा किया गया है। बालिका फिलहाल महिला शरणार्थी गृह में रह रही है और लॉकडाउन समाप्त होने के बाद उसे उसके माता-पिता के पास ले जाया जाएगा। आरोपित मोहम्मद सलाउद्दीन को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन उसे जमानत दे दी गई।
घर से गायब हो गई थी पीड़ित युवती
लड़की के पिता कमल मंडल (बदला हुआ नाम) पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के एक गाँव में रहते हैं। उन्होंने बताया कि 29 फरवरी की सुबह, उनकी लड़की अपने बिस्तर में नहीं थी। उन्होंने चारों ओर तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। इसके बाद परिवार के लोग उसके दोस्तों और सहपाठियों के पास पहुँचे। बातचीत में मोहम्मद सलाउद्दीन का सामने आया।
लड़की के पिता ने कहा, नाम “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी लड़की किसी से मिल रही थी। वह अपनी कक्षा 10 की परीक्षा में भी शामिल हुई थी। मैं हर दिन उसे स्कूल से लेने जाता था। यहाँ तक कि उसकी ट्यूशन कक्षाओं के लिए मैं ही उसे छोड़ता और घर वापस ले आता था। मैं यह समझ नहीं पाया कि वह उससे कहाँ मिली थी?”
पीड़ित लड़की के पिता कमल मंडल पौंड्रा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, यह एक अनुसूचित जाति है। उन्होंने कहा कि गाँव में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और हिंदू परिवार अपने साथ ही अपनी लड़कियों को घरों से बाहर लेकर जाते हैं।
कमल की दो बेटियाँ हैं। जिसे मोहम्मद सलाउद्दीन ने अगवा किया, वह 16 साल की नाबालिग है, जबकि दूसरी की उम्र 11 साल है। कमल की शिकायत पर, 2 मार्च को बरुईपुर पुलिस स्टेशन, पश्चिम बंगाल में रिपोर्ट (संख्या 592/2020) दर्ज की गई थी।
पुलिस की भूमिका
जब कमल ने आयु प्रमाण के लिए जब बेटी के दस्तावेजों की खोज की, तो उसने पाया कि उसके कक्षा 10 के एडमिट कार्ड, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण-पत्र और उसकी बैंक पासबुक भी गायब थीं। कमल का कहना है कि उसने पुलिस के पास मोहम्मद सलाउद्दीन के नाम का जिक्र किया था, लेकिन FIR के बयान में उसके नाम का उल्लेख नहीं है। यही नहीं, पुलिस ने केवल IPC की धारा 363 (अपहरण) का ही केस दर्ज किया।
इसके बाद पाश्चिम बंगाल पुलिस ने पीड़ित युवती के पिता कमल को बताया कि आरोपित मोहम्मद सलाउद्दीन ने उन्हें फोन कर कहा है कि लड़की उनके साथ सुरक्षित है और वह उसके साथ ही रहने की बात स्वीकार कर रही है।
हालाँकि लड़की के पिता ने स्पष्ट रूप से इस मोहम्मद सलाउद्दीन और पुलिस की बात को अस्वीकार कर कहा कि वह आदमी मुस्लिम होने के साथ ही गांजा आदि नशे करता है और न ही वह कुछ काम करता है। कमल ने कहा कि वह अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकता।
इसके बाद अप्रैल में एक दिन कमल से उसकी बेटी ने एक अनजान नम्बर से कॉल कर कहा कि वह फँस गई है और घर लौटना चाहती है। उसने कहा कि वह दिल्ली में थी, लेकिन उसकी लोकेशन नहीं जानती थी। इसके बाद कमल ने स्थानीय पुलिस को यह फोन नंबर दिया, लेकिन तब तक देशभर में कोरोना वायरस के कारण बंद की घोषणा कर दी जा चुकी थी और अन्य किस राज्य में यात्रा नहीं की जा सकती थी।
मिशन मुक्ति फाउंडेशन की मदद से चलाया गया रेस्क्यू अभियान
ऐसे में दिल्ली के एनजीओ, मिशन मुक्ति फाउंडेशन यह मामला लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास गया। यहाँ से बालिका को सुरक्षित लाने के लिए योजना बनाई गई। आयोग ने दिल्ली पुलिस को जाँच का निर्देश दिया। फोन नम्बर से लोकेशन का पता लगाने पर लड़की को आखिरकार दिल्ली के खजूरी खास में खोज लिया गया। खजूरी खास, 23 से 25 फरवरी के बीच पूर्वोत्तर दिल्ली में दिल्ली के हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में आने वाले क्षेत्रों में से एक है, जहाँ आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की भी हत्या की गई थी।
मिशन मुक्ति फाउंडेशन के डायरेक्टर वीरेन्द्र कुमार सिंह को पुलिस ने बताया कि लड़की को 21 मार्च को, जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले दिल्ली लाया गया था। इसके बाद इलाके में एनजीओ की सहायता से राशन बाँटने का जाल बिछाकर मोहम्मद सलाउद्दीन तक पहुँचकर टीम ने छापा मारा और लड़की और सलाउद्दीन दोनों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस स्टेशन में पुलिस और एनसीपीसीआर के अधिकारियों की मौजूदगी में पीड़ित लड़की ने कहा कि मोहम्मद सलाउद्दीन उसे राजस्थान में किसी को बेचने की योजना बना रहा था। उसने सभी अधिकारियों के सामने यह बात बताई कि यदि यह लॉकडाउन के लिए नहीं होता, तो वह मार्च अंत तक राजस्थान में उसकी तस्करी कर देता।
NGO करेगा काउंसिलिंग
हालाँकि इस घटना के बाद पीड़िता के पिता का कहना है कि उसकी बेटी के साथ जो हुआ है उसके बाद उसे अपने इलाके में सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाएगा और हर कोई उनका तिरस्कार करेगा। कमल का कहना था कि अब हम अपने सिर को ऊँचा करके बाहर नहीं जा सकते। इस पर NGO के डायरेक्टर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि उनका संगठन ही लड़की और उसके परिवार की काउंसलिंग करेगा।