Monday, December 23, 2024
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संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ मीडिया और सोनम कपूर दोनों खल्लास… विडियो से पूरा सच आया सामने

सोनम कपूर हो या कोई मीडिया हाउस या फिर आपकी-हमारी तरह का कोई आम इंसान... सबको RSS चीफ मोहन भागवत का 3 मिनट 44 सेकंड का अन-एडिटेड विडियो देखना-सुनना चाहिए। वरना प्रोपेगेंडा में फँसकर...

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (फरवरी 16, 2020) को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कई मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। उन्होंने समाज में कुटुंब का महत्व, परिवार का महत्व से लेकर हिंदू समाज जैसे विषयों पर चर्चा की थी। इन्हीं बातों के बीच उन्होंने कहा कि इन दिनों तलाक के अधिक मामले शिक्षित और सम्पन्न परिवारों से सामने आ रहे हैं, क्योंकि शिक्षा और संपन्नता अहंकार पैदा करती है, जिससे परिवार टूट रहे हैं। वामपंथी मीडिया ने उनकी इसी बात को पकड़ लिया, शीर्षक बनाया और खूब बेचा। लेकिन इस बात के आगे-पीछे की चीज को छुपा लिया, ताकि प्रोपेगेंडा चलता रहे।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि संघ प्रमुख के कथन को प्रमाणित करने के लिए हमारे समाज में व्यवहारिक रूप से बहुत उदाहरण हैं। जहाँ अहंकार के चलते कई अपने एक दूसरे से अलग हो गए। लेकिन, सोशल मीडिया पर मोहन भागवत की टिप्पणी को गलत तरह से पेश किया गया। उनके बयान को इस प्रकार आगे बढ़ाया गया कि जैसे उन्होंने तलाक के पीछे का मुख्य कारण ‘शिक्षा’ को ही बताया। और तो और, वामपंथी मीडिया और उनके प्रोपेगेंडे में फँसकर सोनम कपूर समेत कई लोगों ने उनकी समझदारी पर सवाल तक उठा दिए। जबकि बिना पक्ष जाने, बिना पूरी विडियो देखे लगभग सभी मीडिया संस्थानों ने इस पूरे मामले पर रिपोर्टिंग की। रिपोर्टों में विशेष रूप से सोनम कपूर को नारीवाद का झंडा बुलंद करने वाली नायिका की तरह पेश किया गया और संघ प्रमुख को औरत के ख़िलाफ़ गलत बयान देने वाले के रूप में।

स्क्रॉल का अपना एक एजेंडा है, हेडलाइन में भी वो अजेंडे भरपूर दिखा। उन्होंने लिखा कि मोहन भागवत ने दावा किया है कि अधिक शिक्षित और समृद्ध परिवारों में तलाक ज्यादा पाए जाते हैं।

वहीं हिंदुस्तान टाइम्स ने भी इस खबर को सोनम कपूर के पक्ष में चलाया, आईबी टाइम्स, द पीजन एक्सप्रेस भी इस पहलू को देखे बिना, खबर चलाते पाए गए। हिंदी मीडिया का भी ज्यादातर यही हाल रहा। नतीजतन सोशल मीडिया पर कई लोगों ने संघ प्रमुख के ख़िलाफ़ बोलना शुरू कर दिया। उन पर सवाल उठाए जाने लगे।

सोशल मीडिया पर किसी ने उनके बारे में कहा कि मोहन भागवत बहुत ही धार्मिक उन्मादी व्यक्ति हैं, जो सदैव दंगा भड़काने और भेदभाव करने में विश्वास रखते है। तो किसी अन्य के मुताबिक जब वह संघ में थे तब उन्होंने मोहन भागवत के व्यक्तित्व को सुना और समझा है और उनके अनुसार भागवत सिर्फ़ भेदभाव और भारत को तोड़ने वाली राजनीति करते हैं। सोनम कपूर हो या कोई मीडिया हाउस या फिर आपकी-हमारी तरह का कोई आम इंसान… इन सबको नीचे का विडियो देखना-सुनना चाहिए।

अगर पूरी विडियो देखेंगें तो सवाल उठेगा कि जब मोहन भागवत ने अपने पूरे भाषण में ऐसी कोई बात कही ही नहीं, तो फिर उन पर इतने इल्जाम क्यों? क्या बयान की पूरी वीडियो देखने के बाद भी न माना जाए कि वाकई समाज में एक तय तबका है, जो चाहता है कि आरएसएस की छवि, उससे जुड़े लोगों की छवि पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठे, वो बदनाम हो।

हालाँकि, सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने सोनम कपूर और अन्य मूर्खों को सच्चाई बताने की कोशिश की। लेकिन न सोनम का ध्यान उस ओर गया और न ही किसी मीडिया संस्थान का। क्योंकि जिस बिंदु के आधार पर उन्हें अपना अजेंडा भुनाना था, वो तो सोशल मीडिया पर चल पड़ा। सोनम जैसे कलाकारों ने इस पर ट्वीट किया। और भेड़चाल में सबसे आगे निकलने की चाह में मीडिया ने इसे प्राथमिकता से जगह दी।

एक यूजर ने लिखा भी कि मोहन भागवत ने शिक्षा और परिवार की आर्थिक स्थिति के बारे में बयान दिया और उसे डायवोर्स (तलाक) से जोड़ा। लेकिन अगर आप इसे एक महिला पर टिप्पणी मानते हैं, तो पिछड़ा हुआ कौन है?

पायल रोहतगी ने भी सोनम कपूर की बुद्धि पर तंज कसते हुए उन्हें जवाब दिया और बताया कि संघ प्रमुख ने जेंडर न्यूट्रल बयान दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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