राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि ज्ञानवापी जैसे देवस्थल जिनसे हिंदुओं की श्रद्धा जुड़ी हुई है उनका समाधान आपसी सहमति से होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर अदालत का फैसला सबको मानना चाहिए। वे गुरुवार (2 जून 2022) को नागपुर में संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
#Gyanvapi matter is ongoing. Can’t change history. Neither today’s Hindus nor today’s Muslims created it. It happened at that time.Islam came from outside via attackers. In the attacks,Devsthans were demolished to exhaust morale of those who wanted India’s independence: RSS chief pic.twitter.com/SZfIxou0NJ
— ANI (@ANI) June 2, 2022
मंदिर के लिए आंदोलन
भागवत ने कहा, “अभी ये प्रकरण निकल रहे हैं। ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। अब ऐसे मुद्दे हैं, एक इतिहास तो है, उसको हम बदल नहीं सकते। वो इतिहास हमने नहीं बनाया। न आज के अपने आपको हिन्दू कहलाने वालों ने बनाया, न आज के मुसलमानों ने बनाया। उस समय घटा। इस्लाम बाहर से आया, आक्रामकों के हाथ आया। उस आक्रमण में भारत की स्वतंत्रता चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थान तोड़े गए। हजारों हैं। हिन्दू समाज का विशेष ध्यान जिन पर है, विशेष श्रद्धा जिनके बारे में है। ऐसे कुछ हैं, उसके बारे में मामले उठते हैं। अब इसका विचार क्या करना, ये मुसलमानों के विरूद्ध नहीं सोचता हिन्दू। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिन्दू थे। उन सब को स्वतंत्रता से चिरकाल तक वंचित रखने के लिए उनका मनो-धैर्य दबाने के लिए किया गया, इसलिए हिन्दू को लगता है कि इसका पुनरुद्धार होना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “हम तो इस मामले में कुछ नहीं कह रहे हैं। हमने नौ नवंबर को कह दिया था कि एक राम मंदिर का आंदोलन था, जिसमें हमने अपनी प्रकृति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से उस समय की परिस्थिति में सम्मिलित हुए। हमने उस काम को पूरा किया। अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है, लेकिन यदि कुछ मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। यह किसी के विरुद्ध नहीं है। इसे किसी के खिलाफ नहीं मानना चाहिए। मुसलमानों को तो नहीं ही मानना चाहिए और हिन्दुओं को भी ये नहीं करना चाहिए।”
अदालत का फैसला मानना चाहिए
संघ प्रमुख ने कहा कि यह अच्छी बात होगी कि ऐसे मसलों पर मिल बैठकर सहमति से कोई रास्ता निकालना चाहिए। लेकिन, हर बार ऐसा रास्ता नहीं निकल सकता है। इसी वजह से लोग अदालत में जाते हैं। ऐसे में अदालत जो फैसला दे उसको मानना चाहिए। अपनी संविधान सम्मत न्याय व्यवस्था को पवित्र और सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसके निर्णय का हमको पालन करना चाहिए। अदालतों के फैसलों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाना चाहिए।
#WATCH | “…We shouldn’t bring out a new matter daily. Why should we escalate dispute? We have devotion towards #Gyanvapi and we are doing something as per that, it is alright. But why look for a Shivling in every masjid?…” says RSS chief as he speaks on Gyanvapi mosque issue. pic.twitter.com/eYLmaEEQY4
— ANI (@ANI) June 2, 2022
ज्ञानवापी में हमारी श्रद्धा
भागवत ने आगे कहा कि ठीक है प्रतीकात्मक कुछ स्थानों के बारे में हमारी विशेष श्रद्धा है। लेकिन रोज एक नया मामला निकालना, ये भी नहीं करना चाहिए। हमको झगड़ा क्यों बढ़ाना है? ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धाएँ हैं, परंपरा से चलती आई हैं, ठीक है। परन्तु हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? अरे वो भी एक पूजा है, ठीक है बाहर से आई है। लेकिन, जिन्होंने अपनाई है वो मुसलमान बाहर से संबंध नहीं रखते। ये उनको भी समझना चाहिए। यद्यपि पूजा उनकी उधर की है, उसमें वो रहना चाहते हैं वो अच्छी बात है। हमारे यहाँ किसी पूजा का विरोध नहीं। सबकी मान्यता और सबके प्रतीक के प्रति पवित्रता की भावना है। परंतु पूजा वहाँ की होने के बाद भी वो हमारे प्राचीन सनातन काल से चलते आ रहे ऋषि-मुनि, राजा क्षत्रियों के वंशज हैं। समान पूर्वजों के वंशज हैं। परंपरा हमको समान मिली है।
शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर भारत
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में यूक्रेन युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि भारत सत्य बोल रहा है और संतुलित नीति अपना रहा है। यदि भारत शक्तिशाली होता तो युद्ध रोक सकता था। हम शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि चीन क्यों नहीं इस युद्ध को रोक रहा है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस युद्ध ने सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ा दी है।