Sunday, November 17, 2024
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जिस मौलाना अकरम की मौत को इस्लामी कट्टरपंथियों ने हत्या बता हेट क्राइम का रोया था रोना, उसके घर से मिला सुसाइड नोट: दूसरा निकाह नहीं कर पाने से परेशान था 6 बच्चों का अब्बू

मौलाना अकरम के परिजनों ने सुसाइड नोट की लिखावट को मौलाना अकरम का ही बताया है। इस मामले में पुलिस ने कहा है कि वो फिलहाल जाँच कर रही है।

यूपी के मुरादाबाद में 8 जुलाई को मौलाना अकरम की मौत की हत्या हुआ थी, लेकिन उसका शव तीन दिन बाद घर के पास ही स्थित एक खहंडर में मिला था। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर इसे मुस्लिमों के खिलाफ हेट क्राइम बताकर प्रचारित किया था और हिंदुओं को कटघरे में खड़ा किया था। अब उसी मौलाना अकरम की मौत से पर्दा उठता दिख रहा है। दरअसल, मौलाना अकरम के घर से 2 पन्नों का एक सुसाइड नोट उसके परिवार जनों को ही मिला है, जिसमें साफ लिखा है कि वो निजी समस्याओं और दूसरा निकाह करने को लेकर परेशान था। ये सुसाइड नोट उर्दू में मिला है। फिलहाल पुलिस ने इस सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जाँच के लिए भेज दिया है।

बता दें कि मौलाना अकरम की मौत गोली लगने की वजह से हुई थी, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इसे हिंदुओं द्वारा की गई हत्या बताया था और सोशल मीडिया पर हिंदुओं को लेकर तमाम आरोप लगाए गए थे। यही नहीं, कई इस्लामिक कठमुल्लों ने दावा किया कि मौलाना मोहम्मद अकरम की हत्या लोकसभा चुनाव के बाद हुए राजनीतिक विवाद के चलते की गई, लेकिन अब ये साफ होता दिख रहा है कि मौलाना अकरम की मौत हत्या नहीं, बल्कि सुसाइड थी।

दरअसल, मौलाना अकरम का खून से सना शव मिला था, जिसके बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रवक्ता सलमान निज़ामी ने एक्स पोस्ट में लिखा था, “यूपी में एक और मौलाना मारा गया। जैसा कि मैंने कहा, कुछ सीटों पर जश्न दुख में बदल जाएगा। अंत में, मुस्लिमों को कोई मंत्रालय नहीं मिलेगा या वे सत्ता में नहीं आएंगे। न ही वे जिनके लिए उन्होंने वोट दिया था, उनके लिए बोलेंगे। लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और तकलीफ़ उठानी पड़ेगी!”

एक अन्य पोस्ट में निज़ामी ने मौलाना की हत्या की घटनाओं का इस्तेमाल कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी की चुप्पी पर सवाल उठाने के लिए किया और आरोप लगाया कि वे केवल चुनाव के दौरान मुस्लिमों का इस्तेमाल करते हैं और बाद में उन्हें छोड़ देते हैं। उसके पोस्ट में संकेतों माध्यम ये बताने की कोशिश की गई कि मौलाना अकरम की हत्या प्लानिंग की साथ हुई और वो इसलिए, ताकि मुस्लिमों को निशाना बनाया जा सके। उसका इशारा हिंदुओं की तरफ था।

कई अन्य सोशल मीडिया हैंडलों ने भी इसी तरह की कहानी फैलाई थी, जिसमें कहा गया था कि मौलाना की हत्या लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद एक मुस्लिम विरोधी नफरती अपराध था।

हालाँकि, अब यह बात सामने आई है कि मौलाना ने आत्महत्या की है और किसी राजनीतिक साजिश के तहत उनकी हत्या नहीं की गई है। लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना रामपुर जिले के चौपुरा इलाके के रहने वाले थे और चौपुरा से 18 किलोमीटर दूर भैसिया गांव में स्थित मस्जिद के मौलाना थे। वह अपनी पत्नी और 6 बीवी- 4 बेटियों और 2 बेटों के साथ गाँव में रहते थे। 11 जून को मौलाना का शव उसके घर के पास एक अज्ञात जगह पर मिला। पुलिस को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी। जाँच के दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि मौलाना की बीवी और 3 बच्चे घटना से 2 दिन पहले ही उसे छोड़कर चले गए थे, जबकि उसके 3 बच्चे मौलाना के पास ही रह रहे थे।

मौलाना की मौत की रात को लेकर यह दावा किया गया कि किसी ने उन्हें उनके घर के बाहर बुलाया था जिसके बाद उनका शव पाया गया। हालाँकि, मौलाना के परिवार वालों ने उनके घर से मिले सुसाइड नोट को पुलिस को सौंप दिया है। इसमें मौलाना ने अपने नोट में कई निजी बातें लिखी थीं, जिन्हें आगे की जाँच के लिए फोरेंसिक को भेज दिया गया है। इस नोट में ये भी लिखा गया है कि वो दूसरा निकाह करना चाहते थे, लेकिन कर नहीं पाए।

मौलाना अकरम के परिजनों ने सुसाइड नोट की लिखावट को मौलाना अकरम का ही बताया है। इस मामले में पुलिस ने कहा है कि वो फिलहाल जाँच कर रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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