यूपी के मुरादाबाद में 8 जुलाई को मौलाना अकरम की मौत की हत्या हुआ थी, लेकिन उसका शव तीन दिन बाद घर के पास ही स्थित एक खहंडर में मिला था। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सोशल मीडिया पर इसे मुस्लिमों के खिलाफ हेट क्राइम बताकर प्रचारित किया था और हिंदुओं को कटघरे में खड़ा किया था। अब उसी मौलाना अकरम की मौत से पर्दा उठता दिख रहा है। दरअसल, मौलाना अकरम के घर से 2 पन्नों का एक सुसाइड नोट उसके परिवार जनों को ही मिला है, जिसमें साफ लिखा है कि वो निजी समस्याओं और दूसरा निकाह करने को लेकर परेशान था। ये सुसाइड नोट उर्दू में मिला है। फिलहाल पुलिस ने इस सुसाइड नोट को फॉरेंसिक जाँच के लिए भेज दिया है।
बता दें कि मौलाना अकरम की मौत गोली लगने की वजह से हुई थी, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इसे हिंदुओं द्वारा की गई हत्या बताया था और सोशल मीडिया पर हिंदुओं को लेकर तमाम आरोप लगाए गए थे। यही नहीं, कई इस्लामिक कठमुल्लों ने दावा किया कि मौलाना मोहम्मद अकरम की हत्या लोकसभा चुनाव के बाद हुए राजनीतिक विवाद के चलते की गई, लेकिन अब ये साफ होता दिख रहा है कि मौलाना अकरम की मौत हत्या नहीं, बल्कि सुसाइड थी।
दरअसल, मौलाना अकरम का खून से सना शव मिला था, जिसके बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रवक्ता सलमान निज़ामी ने एक्स पोस्ट में लिखा था, “यूपी में एक और मौलाना मारा गया। जैसा कि मैंने कहा, कुछ सीटों पर जश्न दुख में बदल जाएगा। अंत में, मुस्लिमों को कोई मंत्रालय नहीं मिलेगा या वे सत्ता में नहीं आएंगे। न ही वे जिनके लिए उन्होंने वोट दिया था, उनके लिए बोलेंगे। लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और तकलीफ़ उठानी पड़ेगी!”
Another Molana killed in UP. As I said, the celebrations over a few seats will turn into misery. In the end, Muslims won't get a ministry or come into power. Neither will those they voted for speak for them. But they will face the brunt and suffer! pic.twitter.com/V8rLO4olyv
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) June 11, 2024
एक अन्य पोस्ट में निज़ामी ने मौलाना की हत्या की घटनाओं का इस्तेमाल कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी की चुप्पी पर सवाल उठाने के लिए किया और आरोप लगाया कि वे केवल चुनाव के दौरान मुस्लिमों का इस्तेमाल करते हैं और बाद में उन्हें छोड़ देते हैं। उसके पोस्ट में संकेतों माध्यम ये बताने की कोशिश की गई कि मौलाना अकरम की हत्या प्लानिंग की साथ हुई और वो इसलिए, ताकि मुस्लिमों को निशाना बनाया जा सके। उसका इशारा हिंदुओं की तरफ था।
कई अन्य सोशल मीडिया हैंडलों ने भी इसी तरह की कहानी फैलाई थी, जिसमें कहा गया था कि मौलाना की हत्या लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद एक मुस्लिम विरोधी नफरती अपराध था।
हालाँकि, अब यह बात सामने आई है कि मौलाना ने आत्महत्या की है और किसी राजनीतिक साजिश के तहत उनकी हत्या नहीं की गई है। लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना रामपुर जिले के चौपुरा इलाके के रहने वाले थे और चौपुरा से 18 किलोमीटर दूर भैसिया गांव में स्थित मस्जिद के मौलाना थे। वह अपनी पत्नी और 6 बीवी- 4 बेटियों और 2 बेटों के साथ गाँव में रहते थे। 11 जून को मौलाना का शव उसके घर के पास एक अज्ञात जगह पर मिला। पुलिस को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी। जाँच के दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि मौलाना की बीवी और 3 बच्चे घटना से 2 दिन पहले ही उसे छोड़कर चले गए थे, जबकि उसके 3 बच्चे मौलाना के पास ही रह रहे थे।
मौलाना की मौत की रात को लेकर यह दावा किया गया कि किसी ने उन्हें उनके घर के बाहर बुलाया था जिसके बाद उनका शव पाया गया। हालाँकि, मौलाना के परिवार वालों ने उनके घर से मिले सुसाइड नोट को पुलिस को सौंप दिया है। इसमें मौलाना ने अपने नोट में कई निजी बातें लिखी थीं, जिन्हें आगे की जाँच के लिए फोरेंसिक को भेज दिया गया है। इस नोट में ये भी लिखा गया है कि वो दूसरा निकाह करना चाहते थे, लेकिन कर नहीं पाए।
मौलाना अकरम के परिजनों ने सुसाइड नोट की लिखावट को मौलाना अकरम का ही बताया है। इस मामले में पुलिस ने कहा है कि वो फिलहाल जाँच कर रही है।