गुजरात के मोरबी पुल हादसे में गिरफ्तार किए गए 9 लोगों का कोई भी स्थानीय वकील केस नहीं लड़ेगा। ‘मोरबी बार एसोसिएशन’ और ‘राजकोट बार एसोसिएशन’ ने इन लोगों का मामला हाथ में नहीं लेने और अदालत में उनका प्रतिनिधित्व नहीं करने का फैसला लिया है। ‘मोरबी बार एसोसिएशन’ के सीनियर एडवोकेट एसी प्रजापति ने बताया कि ओरेवा कंपनी के 9 आरोपित मोरबी ब्रिज हादसे में गिरफ्तार किए गए हैं। दोनों बार एसोसिएशनों ने यह प्रस्ताव पारित किया है कि कोई भी वकील इनका मामला हाथ में नहीं लेगा।
Gujarat | Nine accused (of Oreva co.) in #MorbiBridgeCollapse have been arrested. Morbi Bar Association & Rajkot Bar Association have decided to not take their case and represent them. Both the Bar Associations have passed this Resolution: AC Prajapati, sr adv, Morbi Bar Assn pic.twitter.com/CzZzy3OyAo
— ANI (@ANI) November 2, 2022
गुजरात के मोरबी हादसे की जाँच कर रहे पुलिस उपाधीक्षक (DSP) पीए झाला ने पुल के ढहने का सबसे बड़ा कारण केबल में जंग का लगना बताया है। उन्होंने मंगलवार (1 नवंबर, 2022) को स्थानीय अदालत में आरोप लगाया कि खराब रखरखाव के कारण पुल टूट गया। पुल के केबलों में जंग लग गया था। उन्होंने कहा कि अगर केबलों की मरम्मत की जाती, तो यह घटना नहीं होती। वहीं, आईओ का कहना है कि केवल पुल का फर्श बदला गया था, केबल नहीं बदला गया।
In the FSL report,IO (Investigating Officer) said that the cable (of bridge)was rusting away. Prima facie, FSL officer says that it was an old cable. IO say that only flooring of the bridge & not the cables were changed & oiling-greasing wasn’t done: Addl Public Prosecutor, Morbi pic.twitter.com/7gNRGJFB2D
— ANI (@ANI) November 2, 2022
मोरबी कोर्ट ने इस हादसे के जिम्मेदार 4 आरोपितों को 5 नवंबर 2022 तक पुलिस हिरासत में और अन्य 5 लोगों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। एडवोकेट एचएस पांचाल ने बताया कि जिन 4 लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा गया था, उनमें से 2 ओरेवा कंपनी में मैनेजर हैं और 2 अन्य ने पुल के निर्माण का काम किया था। न्यायिक हिरासत में भेजे गए 5 अन्य सुरक्षाकर्मी और टिकट विक्रेता हैं।
#UPDATE | Morbi court sent 4 accused of #MorbiBridgeCollapse to police custody till 5th Nov, Saturday & another 5 people to judicial custody.
— ANI (@ANI) November 2, 2022
Out of the 4 persons in Police custody, 2 are managers of the Orewa company and the other 2 are fabrication work contractor’s people. https://t.co/3BfY3gDFjz
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, डीएसपी झाला ने नौ में से चार आरोपितों की 10 दिन की रिमांड की माँग करते हुए अदालत में कहा था कि सरकार की मंजूरी के बिना 26 अक्टूबर, 2022 को पुल खोला गया था, वह भी बिना किसी सुरक्षा और लाइफगार्ड को तैनात किए। वहीं पुल का रखरखाव करने वाली ओरेवा कंपनी के मैनेजर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए अदालत में कहा था कि इस हादसे के लिए कंपनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
उसका कहना है कि यह दुखद घटना भगवान की मर्जी से हुई थी। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और एडिशनल सीनियर सिविल जज एमजे खान की अदालत के समक्ष दीपक पारेख ने कहा कि भगवान की इच्छा से इतना दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ है। पारेख उन नौ लोगों में से एक हैं, जिसे इस हादसे के बाद गिरफ्तार किया गया है।
झाला ने आईई के हवाले से कहा, “रखरखाव और मरम्मत के हिस्से के रूप में केवल प्लेटफॉर्म (डेक) को बदला गया था। गाँधीनगर से आई एक टीम द्वारा एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की रिपोर्ट में बताया गया है कि पुल में मरम्मत का कोई अन्य काम नहीं किया गया था।”
झाला ने अपनी बात को समझाते हुए कहा, “पुल एक केबल पर था, जिस पर कोई तेल या ग्रीसिंग नहीं नहीं लगाई गई थी। जहाँ से केबल टूटी उस जगह पर जंग लगा हुआ था। यदि केबल पर ध्यान दिया गया होता तो यह घटना नहीं होती। क्या काम और कैसे किया गया, इसका कोई दस्तावेज भी नहीं रखा गया है।” डीएसपी ने आगे बताया कि पुल बनाने के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता की जाँच की गई या नहीं, उसके बारे में पूछताछ की जानी बाकी है।
बता दें कि पुल के रखरखाव और मरम्मत का काम देखने वाली ओरेवा कंपनी का जनवरी, 2020 का एक पत्र सामने आया है। यह पत्र ओरेवा ग्रुप ने मोरबी के जिला कलेक्टर को जनवरी 2020 में लिखा था। पत्र में कहा गया है, “हम केवल अस्थायी मरम्मत करके पुल को फिर से खोल रहे हैं।” हालाँकि इस पत्र में ऐसी चीजें सामने आई हैं, जिनसे पता चलता है कि पुल के ठेके को लेकर कंपनी ने अपनी शर्तें रखी थीं। पत्र से पता चलता है कि ओरेवा ग्रुप पुल के रखरखाव के लिए एक स्थायी अनुबंध चाहता था।