केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने कहा है कि उसने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी MoC)’ के बैंक खातों को फ्रीज नहीं किया है। ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)’ ने जानकारी दी है कि संस्था ने खुद ही निवेदन भेजा था कि उसके बैंक खातों को फ्रीज कर लिया जाए। वहीं MHA ने कहा है कि ‘विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA)’ के तहत MoC ने अपने एप्लिकेशन को रिन्यू कराने के लिए याचिका डाली थी, लेकिन 25 दिसंबर, 2021 को उसे ख़ारिज कर दिया गया।
उक्त संस्था ने FCRA 2010 और FCRR 2011 (Foreign Contribution Regulation Rules) के तहत पात्रता को पूरा नहीं किया था, जिस कारण उसकी याचिका को रद्द किया गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वामपंथी दल CPI ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने क्रिसमस पर ईसाइयों पर हमला बोलते हुए MoC के बैंक खातों को जब्त कर दिया है। TMC (तृणमूल कॉन्ग्रेस) सुप्रीमो ने तो यहाँ तक दावा किया था कि 22,000 मरीज और कर्मचारी बिना भोजन और दवाओं के बेचैन हैं।
MHA says the renewal application under Foreign
— ANI (@ANI) December 27, 2021
Contribution Regulation Act (FCRA) for renewal of FCRA registration of Missionaries of Charity (MoC) was refused on 25 Dec for not meeting eligibility conditions under FCRA 2010 & Foreign Contribution
Regulation Rules (FCRR), 2011.
ममता बनर्जी ने कहा कि मानवता से जुड़े मुद्दों के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। हालाँकि, MHA ने ये भी बताया है कि संस्था ने अपनी याचिका रद्द होने की समीक्षा के लिए कोई निवेदन ही नहीं भेजा है। उसका रजिस्ट्रेशन अक्टूबर 2021 तक ही वैध था, लेकिन इस वैधता को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया था। कुछ ‘प्रतिकूल इनपुट्स’ की तरफ केंद्र सरकार का ध्यान गया था, जिसके बाद ये निर्णय लिया गया था। MHA ने कोई अकाउंट फ्रीज नहीं किया, बल्कि सिर्फ रजिस्ट्रेशन की वैधता बढ़ाने की याचिका को रद्द किया।
कलकत्ता चर्च के पादरी डोमिनिक गोम्स ने बयान जारी कर के इसे ‘केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को क्रिसमस का क्रूर गिफ्ट’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा ने सभी साजोसामान, नींद और घर त्याग कर गरीब भारतीयों की सेवा करने का फैसला लिया। उन्होंने केंद्र सरकार पर मानवीय सेवा के कार्यों के प्रति गलत रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये निर्णय त्रासदी का कारण बन सकता है। साथ ही उन्होंने धर्मांतरण के आरोपों को भी गलत बताया।
फरवरी 2020 में आरोप लगा था कि मदर टेरेसा द्वारा स्थापित ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ कथित तौर पर बच्चों के ख़रीद-फरोख्त में लगी हुई है। जुलाई 2018 में ‘राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR)’ ने राँची स्थित एक ऐसे ही शेल्टर होम का दौरा किया था, जहाँ बड़ी गड़बड़ियाँ पाई गई थीं। 2015 से 2018 के बीच 450 गर्भवती महिलाएँ यहाँ भर्ती की गई थी। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से सिर्फ़ 170 बच्चों का ही रिकॉर्ड दर्ज थे। बाकी 280 शिशुओं के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई थी।