Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाज1978 से 2022 तक… 44 सालों में मुख्तार अंसारी ने बरकरार रखा क्राइम का...

1978 से 2022 तक… 44 सालों में मुख्तार अंसारी ने बरकरार रखा क्राइम का फंडा: मरवा दो या गायब करवा दो

मुख्तार अंसारी पर पहला केस 1978 में दर्ज हुआ था और रिकॉर्ड के अनुसार आखिरी 2022 में। दोनों ही केसों में कॉमन बात यह है कि एक में रिकॉर्ड थाने से गायब है एक में अतीक पर केस ही यह है कि वो फाइल गायब करवाता है।

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में जेल में बंद चल रहे माफिया मुख्तार अंसारी के दिन ढल गए हैं। एक समय था जब उसके खौफ से न केवल पुलिस अधिकारी बल्कि जिलाधिकारी और नेता भी काँपते थे। वो खुली जीप में हथियार लहराता घूमता था और कोई उसका कुछ नहीं कर पाता था। आज वही माफिया मुख्तार अंसारी जेल में बंद है और डर-डरकर जिंदगी काट रहा है। कोर्ट ने उसे भले ही एक हत्या मामले में 10 साल की सजा सुनाई है लेकिन उसके खिलाफ अभी ऐसे कई मामले हैं जिनपर फैसला आना शेष है।

आज हम आपको उसी माफिया मुख्तार के पूरे क्राइम रिकॉर्ड का चिट्ठा देने जा रहे हैं…

जिला मऊ के डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (DCRB) के पास मौजूद जानकारी के अनुसार, माफिया मुख्तार अंसारी के ऊपर साल 1978 में सबसे पहले आईपीसी की धारा 506 के तहत आपराधिक धमकी देने का मामला दर्ज हुआ था। उसके बाद उसके अपराधों की रफ्तार ऐसी तेजी से बढ़ी कि वह धमकी से वह लूटपाट और हत्या करके अपना आतंक फैलाने लगा। ऑपइंडिया के पास मौजूद DCRB के रिकॉर्ड की कॉपी से पता चलता कि मुख्तार पर दर्ज कई मामलों में धारा 302 जुड़ी हुई है।

इन आँकड़ों से पता चलता है कि माफिया पर 44 सालों में 59 केस दर्ज हुए हैं। आखिरी केस 2022 में दायर हुआ था जिसकी जाँच अभी बाकी है। इसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्तार ने साल 1991 के एक मामले की सुनवाई में देरी कराने के लिए अपने लोगों के साथ मिलकर केस डायरी गायब करवाई।

मुख्तार के मामले में उस पर डायरी गायब कराने का संदेह इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये कोई एक केस नहीं है जो उसके विरुद्ध दर्ज हुआ और पूरी डायरी थाने से गायब हो गई हो या फिर पुलिस को उसका कोई रिकॉर्ड न मिल रहा हो… मुख्तार के खिसाफ ऐसे 3 और मामले हैं जिनके बारे में डीसीआरबी रिकॉर्ड से सूचना गायब है।

डीसीआरबी की पहले ही पृष्ठ के पहले ही केस की सूचना रिकॉर्ड से गायब है। इसमें सिर्फ लिखा है कि मामला गाजीपुर के सैदपुर में 1978 को दर्ज हुआ था। इसके अलावा इसमें कोई और अन्य जानकारी नहीं है। अन्य जानकारियों के स्थान पर वहाँ लिखा है- “वर्ष 1978 एनसीआर जिल्द थाने में न मिल पाने के कारण इसका विवरण उपलब्ध नहीं है।” 

इसी तरह 1988 के एक केस की जानकारी भी रिकॉर्ड से गायब है। ये मामला गाजीपुर के मुहम्मदाबाद में आईपीसी की धारा 504,506 के तहत दर्ज हुआ था। यहाँ भी देखें तो लिखा है- “वर्ष 1988 एनसीआर जिल्द थाने में न मिल पाने के कारण इसका विवरण उपलब्ध नहीं है।”

इसके बाद एक केस की जानकारी गायब होने का अगला मामला नई दिल्ली का भी है। यहाँ मुख्तार के खिलाफ सन् 1993 में टाडा की धारा 5 में केस दर्ज हुआ था। लेकिन रिकॉर्ड कहता है कि न तो इसका विवरण केजी मार्ग थाने पर मौजूद है और न ही इसके पास वाले थाने पर।

उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुख्तार के खिलाफ दर्ज इन 3 केसों की गायब जानकारी से समझ सकते हैं कि एक समय में मुख्तार अंसारी का कितना बोलबाला था। उसके 44 साल के क्राइम रिकॉर्ड में वो 18 केसों में अब तक बरी हो गया है। 1 केस उसके खिलाफ एनएसए एक्ट में था उसमें उसे डीएम ने बरी कर दिया, फिर 8 केसों में पुलिस स्तर पर बरी हुआ। 4 केसों के रिकॉर्ड ही थाने से गायब हैं। 2 केसों में उसकी नामजदगी गलत है। 3 केस ऐसे हैं जो सरकार या वादी द्वारा वापस ले लिए गए। 2 केसों में कोर्ट ने चार्जशीट तक नहीं दाखिल की और 21 केस अब भी कोर्ट में पेंडिंग हैं।

गौरतलब है मुख्तार अंसारी के कुकर्मों का चिट्ठा खोलने ऑपइंडिया पत्रकार राहुल पांडेय कई दिनों ग्राउंड पर थे। वहाँ उन्होंने मुख्तार के खौफ की कई कहानियाँ दंगों के चश्मदीदों से जानीं। इस दौरान यह भी पता चला कि कैसे मुख्तार के डर से पुलिस सूअर पकड़ने पानी में घुस जाती थी मगर अपराधी पकड़ने नहीं जाती थी। आप लिंक पर क्लिक करके उनकी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -