उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि वो उसके अब्बा को बांदा के बजाय किसी ऐसी राज्य की जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दें, जहाँ भाजपा की सरकार न हो। अपनी याचिका में उमर अंसारी ने आशंका जताई है कि बांदा जेल में उसके अब्बा की हत्या भी हो सकती है। उमर ने उत्तर प्रदेश सरकार पर अपने पूरे परिवार के उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है। याचिका सोमवार (4 दिसंबर 2023) को लगाई गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि बांदा जेल में उसके अब्बा की जान को खतरा है। याचिका में आगे बताया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस छोटे-मोटे अपराध करने वाले कुछ किराए के अपराधियों को बांदा जेल ले जाकर जेल के अंदर ही मुख्तार अंसारी की हत्या करवा सकती है। पुलिस पर ये भी आरोप लगाया गया है कि वो जेल में इन अपराधियों को हथियार पहुँचा सकती है। इस घटना को गैंगवार का भी नाम देने की आशंका जताई गई है।
उमर अंसारी के मुताबिक कृष्णानंद राय हत्याकांड में शामिल तमाम आरोपितों की एक के बाद एक हो रही हत्याओं से वो और मुख्तार अंसारी काफी परेशान हैं। बताते चलें कि मुख्तार अंसारी भी कृष्णानंद राय हत्याकांड में मुख्य आरोपित है।
याचिका में दावा यह भी किया गया है कि 18 मई 2023 को मुख्तार अंसारी की बैरक में कुछ संदिग्ध लोग भी आए थे। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 3 मई 2023 दिए गए उस आदेश का भी हवाला दिया गया है, जिसमें माफिया मुख्तार की सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार को निर्देश मिले थे।
अपनी याचिका में उमर अंसारी ने आगे बताया है कि उसके अब्बा की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश शासन इसे सुरक्षा में चूक का नाम देकर रफा-दफा करने का प्रयास कर सकती है। याचिकाकर्ता ने समाधान के तौर पर मुख्तार को ऐसे राज्य की जेल में ट्रांसफर करने की माँग की है, जहाँ भाजपा की सरकार न हो।
माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार न सिर्फ उसके अब्बा बल्कि पूरे परिवार का उत्पीड़न कर रही है। उमर ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी गुहार लगाई है कि उसके अब्बा की अदालतों में सुनवाई पेशी नहीं बल्कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करवाई जाए।
उमर अंसारी ने अपनी माँगों के समर्थन में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का हवाला दिया और बताया कि कैसे इन दोनों को पुलिस सुरक्षा में मार दिया गया था। अपनी याचिका को उमर ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मिला अधिकार बताया।