अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर में तोड़फोड़ को लेकर विवादों में आई बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) अब गुरु तेग बहादुर नगर (GTB) स्थित पंजाबी कॉलोनी को ध्वस्त करने वाली है। बता दें कि यह कॉलोनी 70 साल से अधिक पुरानी और जर्जर है। देश विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए सिख और पंजाबियों की यह शरणस्थली है।
मिड डे की खबर के अनुसार गोवंडी बिल्डिंग ढहने की घटना के बाद, बीएमसी ने शहर की सभी जर्जर इमारतों को खाली कराने की कठोर कार्रवाई शुरू कर दी है। इसका क्रियान्वयन अक्टूबर में शुरू होगा। इस बीच यहाँ के बाशिंदे मामले में सरकार से हस्तक्षेप करने की अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए किसी तरह के वैकल्पिक आवास या पुनर्निर्माण की व्यवस्था नहीं की गई है।
पंजाबी कॉलोनी की सभी 25 इमारतें जर्जर हालत में हैं और बीएमसी ने लगभग दो दशक पहले 1999 में इन इमारतों को खाली करने के नोटिस भेजने शुरू कर दिए थे। लेकिन आंदोलन और अदालत में मामला जाने के कारण इसे तोड़ा नहीं जा सका। इस बीच बीएमसी ने इमारतों के पानी और बिजली कनेक्शन काटने शुरू कर दिए थे।
जिन इमारतों पर कार्रवाई होनी है उनमें से 14 के कनेक्शन पहले ही काटे जा चुके हैं। शेष के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए गए हैं। बता दें कि इससे पहले जब कनेक्शन काटने की कार्रवाई हुई थी तो जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ था।
14 इमारतों के बिजली और पानी का कनेक्शन काट दिए जाने पर निवासियों ने हाइकोर्ट का रुख किया था। जहाँ हाइकोर्ट ने बीएमसी को निर्देश देते हुए कहा था कि वे अगली सुनवाई तक उन्हें बेदखल करने की कोई भी कठोर कार्रवाई न करें। सोसायटी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि BMC ने HC द्वारा निर्धारित प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया था।
जानकारी के मुताबिक अब एफ नॉर्थ वार्ड के असिसटेंट कमिश्नर गजानन बेल्लाले ने कहा है, “हम अगले हफ़्ते शेष सभी इमारतों के कनेक्शन को काटने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि वे जीर्ण-शीर्ण हैं और हम कोई भी जोखिम नहीं उठा सकते हैं। इमारतों की विध्वंस प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू होगी।”
हालाँकि यहाँ के निवासी भी इन इमारतों में रहना सुरक्षित नहीं समझते हैं, कई लोग तो वहाँ से कहीं और शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन अभी भी वहाँ पर रहने वाले लोगों के पास आवास की समस्या है। उनका कहना है कि वे खुद यहाँ से हटना चाहते हैं, लेकिन पहले उन्हें पर्याप्त जगह तो मिले, जहाँ वे अपने परिवार के साथ रह सकें।
पंजाबी कॉलोनी को सन 1950 के आसपास भारत सरकार ने करीब 12 एकड़ भूखंड पर बसाया था। कुल 25 बिल्डिंगें बनाई गई थीं और करीब 1200 परिवार थे। धीरे-धीरे बिल्डिंगें जर्जर होती गईं, लेकिन डेवलपमेंट नहीं हुआ। इसका कारण बताया जाता है कि इस जमीन का मालिकाना हक राष्ट्रपति के नाम पर था।
बीएमसी के अधिकारियों में से एक ने कहा, “कलेक्टर ने उन्हें स्वामित्व का पत्र दिया है। अब, यह उन पर निर्भर करता है कि किसी संपत्ति का पुनर्मिाण कैसे किया जाए। वैकल्पिक आवास के लिए न तो बीएमसी और न ही कलेक्टर कार्यालय जिम्मेदार है।”
बिल्डिंग नंबर 5 के एक निवासी ने बताया, “पुनर्निर्माण के लिए बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक किसी को भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। लोगों को वैकल्पिक आवास नहीं मिल रहा है, यहाँ तक कि उन्हें किराए पर भी रहने की जगह नहीं मिल रही है।”