मुंबई में कोरोना वायरस को लेकर एक बेहद ही चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मुंबई के सेवरी टीबी अस्पताल में 14 दिन से लापता एक 27 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज की लाश अस्पताल के ही शौचालय में पाया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरीज की पहचान सूर्यभान यादव के रूप में की गई है। 30 सितंबर को गोरेगाँव में एक डॉक्टर द्वारा रेफर किए जाने के बाद वह टीबी अस्पताल आए थे। जिसके बाद यादव को अस्पताल की पहली मंजिल पर कोरोना वायरस वार्ड में रखा गया था। हालाँकि, 4 अक्टूबर को अचानक वह वार्ड से लापता हो गए थे। यादव कोरोनो वायरस संक्रमण के अलावा टीबी से भी पीड़ित थे।
बता दें कि अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक मरीज का शव 14 दिनों के बाद टॉयलेट ब्लॉक से बरामद किया गया। शौचालय अन्य रोगियों द्वारा नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता था, इसके बावजूद किसी को इसकी खबर नहीं हुई। कथित तौर पर 14 दिन तक शौचालय में पडे़ रहने की वजह से मरीज का शव इतना खराब हो चुका था, कि उसके लिंग की पहचान करना भी मुश्किल हो गया था। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार, 18 अक्टूबर तक किसी भी मरीज या कर्मचारी ने बदबू आने की शिकायत नहीं की।
खबरों के अनुसार, 18 अक्टूबर को अस्पताल के एक वार्ड बॉय ने शिकायत की कि उसे तीन बंद क्यूबिकल्स में से एक से बदबू आने का एहसास हुआ, उसके बाद दीवार फाँदकर देखने पर अंदर शव होने का पता चला। अस्पताल ने तुरंत पुलिस को घटना की सूचना दी, जिसके बाद शव को केईएम अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। वहीं फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ हरीश पाठक ने मरीज की मौत प्राकृतिक कारणों से होने की पुष्टि की है।
घटना के उजागर होने के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस मामले की जाँच के लिए निर्देश दिया है और अस्पताल के 40 से अधिक कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है, जो विशेष वार्ड में काम कर रहे थे।
इस बीच वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक (आरएके मार्ग पुलिस स्टेशन) सुनील सोहोनी ने बताया, “हम अस्पताल के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाएँगे ताकि यह समझ सके कि यह कैसे हुआ। साथ ही किसी प्रकार की हिंसा या अपराध का पता लगाने के लिए हमने मामले की तहकीकात भी शुरू की है।” यह भी बताया गया कि हाउसकीपिंग स्टाफ कोरोनावायरस वार्ड में प्रवेश करने या बाथरूम की सफाई करने से परहेज किया करते थे।
इस घटना पर बात करते हुए अस्पताल अधीक्षक डॉ ललित कुमार आनंदी ने कहा कि टीबी के मरीजों का अस्पताल से फरार होना आम बात है। उन्होंने दावा किया कि, जब उन्हें पता चला कि मरीज वार्ड से लापता है, जिसके बाद उन्होंने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। टीबी के मरीजों का अस्पताल से फरार होना आम बात है।
डॉ आनंद ने आगे कहा कि, “शौचालय को एक दिन में तीन बार साफ किया जाता है, लेकिन कभी-कभी मरीज इस पर अपना कब्जा जमा लेते हैं, इसलिए क्लीनर चला जाता है। लेकिन मरीज नियमित रूप से उन शौचालयों का इस्तेमाल करते है और उन्होंने शरीर के गलाने की गंध आनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि ड्यूटी पर तैनात वार्ड में सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है।
शौचालय के अंदर मृत मिली थी कोरोना वायरस संक्रमित महिला
गौरतलब है कि इससे पहले महाराष्ट्र के जलगाँव के एक सरकारी अस्पताल से एक सप्ताह से लापता 82 वर्षीय कोरोनावायरस पॉजिटिव मरीज अस्पताल के ही एक शौचालय के अंदर मृत पाई गई थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 27 मई को बुजुर्ग महिला का कोरोनोवायरस रिपोर्ट पॉजिटिव आया था, जिसके बाद से उसका इलाज जलगाँव सिविल अस्पताल में चल रहा था। वहीं से वह 2 जून को लापता हो गई। महिला के लापता होने के बाद उसके रिश्तेदारों और अधिकारियों ने उसकी तलाश की लेकिन वह नहीं मिली। वहीं 8 दिन बाद अस्पलात के ही शौचालय से उसका शव बरामद किया गया था।