उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक शिव मंदिर मिला है। ये शिव मंदिर 1970 में बना था, लेकिन कभी हिंदू बाहुल्य रहे इस इलाके में मुस्लिमों की संख्या बढ़ती गई और हिंदुओं को पलायन करना पड़ा और मंदिर पूरी तरह से खहंडर बन गया। अब फिर से इस शिव मंदिर पर प्रशासन की नजर पड़ी है। वहीं, संभल में एक और प्राचीन कुआँ मिला है, जिसकी खुदाई शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि ये कुआँ भी पौराणिक महत्व का है।
मुजफ्फरनगर में शिव मंदिर की दुर्दशा, हिंदुओं ने किया था पलायन
मुजफ्फरनगर जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र में मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में 54 साल पहले एक शिव मंदिर की स्थापना हुई थी। उस समय यह क्षेत्र हिंदू बाहुल्य था, लेकिन बाद में जब 90 के दशक में अयोध्या राम मंदिर का आंदोलन तेज होने के बाद यहाँ की परिस्थितियाँ बदल गईं। दंगों और बढ़ती मुस्लिम आबादी के चलते हिंदू समाज के लोग इस इलाके से पलायन कर गए। इसके साथ ही, इस मंदिर से भगवान शिव की मूर्ति और अन्य धार्मिक प्रतीक भी हटा लिए गए। अब यह मंदिर खंडहर बन चुका है।
इस शिव मंदिर के इतिहास के बारे में बताते हुए इलाके से पलायन कर चुके परिवार के सदस्य भाजपा नेता सुधीर खटीक ने कहा कि 1970 में मंदिर की स्थापना हुई थी। यहाँ नियमित पूजा-अर्चना होती थी, लेकिन 1990 के बाद जब मुस्लिम आबादी बढ़ी, तो हालात बदलने लगे। मोहल्ले में मीट की दुकानें खुलने लगीं और सांप्रदायिक माहौल बिगड़ गया। ऐसे में हिंदू परिवारों ने मंदिर की मूर्तियाँ हटा दीं और दूसरी जगह स्थापित कर लीं।
आज मंदिर पर आसपास के लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। किसी ने छज्जे बढ़ा लिए, तो किसी ने पार्किंग बना ली। सुधीर खटीक का कहना है कि सरकार को इस मंदिर की पुनर्स्थापना करनी चाहिए। उनका मानना है कि धर्म और संस्कृति की सुरक्षा ही राष्ट्र की सुरक्षा का आधार है।
संभल में प्राचीन कुओं की खोज जारी, एक और कुआँ मिला
संभल जिले में हाल ही में एक और प्राचीन कुआँ मिला है। जामा मस्जिद के पास मोहल्ला टंकी में मिले इस कुएँ के साथ ही अब तक संभल जिले में आधा दर्जन से अधिक प्राचीन कुओं की खुदाई हो चुकी है। स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका प्राचीन जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने और उनके सौंदर्यीकरण पर काम कर रहे हैं।
संभल नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी डॉ. मणिभूषण तिवारी ने बताया कि ये कुएँ जल संरक्षण और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। अब तक 10 फीट तक खुदाई की जा चुकी है। उनका कहना है कि इन जल स्त्रोतों को रिचार्ज करने और धार्मिक कार्यक्रमों के पुनः आयोजन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
शहर की ऐतिहासिक पहचान के अनुसार, संभल में 52 सराय, 68 तीर्थ, और 19 कूप (कुएँ) हुआ करते थे। इनकी खोज और पुनर्स्थापना से क्षेत्र की धरोहर को नया जीवन मिलेगा। यह पहल ‘कैच द रेन’ और जल संरक्षण अभियानों के तहत चल रही है।
मुजफ्फरनगर के शिव मंदिर और संभल के प्राचीन कुओं की कहानी उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की दुर्दशा को सामने लाती है।