उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar, Uttar Pradesh) से ताल्लुक रखने वाले मुस्लिम युवक फैज मोहम्मद काँवड़ यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। फैज का कहना है कि 5 साल पहले भोलेनाथ उन्हें सपने में दिखाई दिए, तब से वे उनके भक्त बन गए और हर साल काँवड़ यात्रा पर जाते हैं। उन्होंने अपना नाम फैज मोहम्मद उर्फ शंकर लिखना शुरू कर दिया।
मुजफ्फरनगर के गाँव कढ़़ली के रहने वाले फैज मोहम्मद एक कंपनी में लेबर का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि पाँच साल पहले एक रात सपने में उन्होंने भगवान शंकर को देखा। इसके बाद भगवान भोले में उनकी श्रद्धा जग गई।
फैज मोहम्मद का कहना है कि आस्था जाति और धर्म से बँधा हुआ नहीं है। उन्होंने इसे मन और प्रेम का तालमेल बताया। उन्होंने कहा कि उनके मन में भगवान शिव को लेकर गहरी श्रद्धा है और वो इस बार शिवरात्रि को पूरा महादेव पर जलाभिषेक करेंगे।
फैज मोहम्मद शुक्रवार (22 जुलाई 2022) को खतौली के गंगनहर पटरी पर स्थित त्रिवेणी शुगर मील के काँवड़ सेवा शिविर में पहुँचे तो इस भोले भक्त का लोगों के खुले दिल से स्वागत किया।
उन्होंने बताया कि वे अब तक पाँच बार काँवड़ ला चुके हैं। फैज मोहम्मद का कहना है कि वे पहले अकेला काँवड़ लाते थे, लेकिन इस साल से उन्हीं के गाँव के रहने वाले विशंभर भी उनके साथ हैं और दोनों मिलकर काँवड़ ला रहे हैं।
वे हरिद्वार से गंगाजल लाते हैं मेरठ के काली पलटन औघड़नाथ मंदिर में चढ़ाते हैं। इस साल वे 6ठी बार काँवड़ यात्रा पर हैं और शिवरात्रि के दिन बागपत के पुरा महादेव में वे गंगाजल चढ़ाएँगे।
फैज मोहम्मद का कहना है कि कुछ लोग राजनीति के लिए धर्म का बँटवारा करते हैं और नफरत फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे लोगों से कोई वास्ता नहीं है। वे अपनी आस्था और श्रद्धा के अनुसार काम कर रहे हैं।
बता दें कि फैज मोहम्मद की तरह बागपत के बाबू खान भी पिछले 5 सालों से सावन में काँवड़ यात्रा करते हैं। हालाँकि, इसको लेकर उन्हें कर तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। जब पहली बार 2018 में उन्होंने काँवड़ यात्रा की तो कट्टरपंथी मुस्लिमों ने उन्हें मस्जिद से बाहर निकाल दिया। कट्टरपंथियों की इस करतूत के बावजूद वे अभी भी काँवड़ यात्रा पर जाते हैं।
बाबू खान ने बताया था, “जब मैं पहली बार काँवड़़ लेकर गया तो घर में खूब लड़ाइयाँ हुईं, लेकिन परिवार को किसी तरह समझा लिया। 2018 में पुरा महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद अगले दिन सुबह नमाज पढ़ने के लिए 5 बजे मैं मस्जिद तो वहाँ मेरा बहिष्कार कर दिया गया और मुझे मस्जिद से बाहर निकाल दिया गया।”