फर्जी कागजात से नाम बदलकर पासपोर्ट बनवाने वाली सनम खान उर्फ नगमा नूर मकसूद अली के मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। नगमा ने नाम बदलवाने के बाद उसे गजट नोटिफिकेशन में प्रकाशित नहीं करवाया था और ना ही समाचार पत्र में जारी किया था। इतना ही नहीं, उसने आधार कार्ड बनवाने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था।
दरअसल, ठाणे निवासी 27 वर्षीय की नगमा ने साल 2015 में अवैध रूप से अपना जन्म का नाम बदलकर सनम खान रख लिया था। इसके बाद वह साल 2022 की शुरुआत में एक पाकिस्तानी व्यक्ति के साथ ऑनलाइन निकाह करके अपनी पहले निकाह से जन्मी दो बेटियों को लेकर पाकिस्तान के एबटाबाद चली गई थी।
इसके बाद 17 जुलाई 2024 को नगमा अपनी बीमार माँ की देखभाल के लिए ठाणे लौटी। पाकिस्तान की यात्रा करने के कारण अधिकारियों ने उसके दस्तावेज़ों की तो उसमें इस तरह की अवैधता का पता चला। ठाणे के वर्तक नगर पुलिस स्टेशन ने नगमा के खिलाफ़ जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करके आधार कार्ड हासिल करने का मामला दर्ज करके उसे 25 जुलाई को गिरफ़्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पूछा कि उसने पासपोर्ट और पैन कार्ड समेत अपने आधिकारिक दस्तावेज सनम खान के नाम से कैसे हासिल किए, जबकि उनका आधिकारिक नाम अभी भी नगमा ही था। उसने पुलिस को बताया कि दुकानदार ने उसके जन्म के वर्ष 1997 से 2001 करके सनम खान के नाम पर जन्म प्रमाण पत्र बनवा दिया। इसके साथ पैन कार्ड और आधार कार्ड के लिए उससे 20,000 रुपए लिए थे।
एक अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “जब हमने दुकानदार से पूछा कि वह उसके (नगमा के) नए नाम पर आधार कार्ड कैसे बनवाने में कामयाब रहा, जबकि उसके पास उसके मूल जन्म प्रमाण पत्र सहित कोई सहायक दस्तावेज नहीं था। तब उस दुनकानदार ने कहा कि उसे सहायक दस्तावेज के रूप में स्थानीय पार्षद से केवल एक हस्ताक्षरित पत्र लेकर जमा कर दिया था।”
अधिकारी ने आगे बताया, “नाम बदलने की सही प्रक्रिया गजट नोटिफिकेशन और अखबारों में नोटिस देना है। हालाँकि, नगमा ने पासपोर्ट के लिए आवेदन करने सहित ऐसा किए बिना अपने नए दस्तावेजों का उपयोग करना शुरू कर दिया। चूँकि वह पाकिस्तान गई थी, इसलिए उसके दस्तावेजों की जाँच की गई और इस तरह अवैधता का पता चला।” इस मामले में उसे अगस्त पहले सप्ताह में जमानत मिल गई।
दरअसल, पासपोर्ट, आधार आदि बनवाने के लिए उसके समर्थन में उसी नाम-पता आदि वाले किसी अन्य दस्तावेज की जरूरत पड़ती है। ऐसे में फर्जी निवास प्रमाण पत्र का उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। निवास प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय पार्षद, विधायक या सासंद से सत्यापित करवाना होता है और फिर उस पर नाम, पता और जन्म तिथि आदि अंकित हो जाता है।
नगमा का सनम खान से दस्तावेज बनवाने के लिए उस दुकानदार ने भी यही तरीका अपनाया था। उसने स्थानीय कॉरपोरेटर से सनम खान के नाम से सत्यापित करवाकर उसका जन्म प्रमाण बनवा लिया था। उसके आधार पर उसने सनम खान के नाम से पैन कार्ड, आधार कार्ड और फिर पासपोर्ट बनवा दिया। इस दुकानदार को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
यह खेल पूरे देश में खेला जाता है, खासकर म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों को भारत में बसाने के लिए इसी तरह से उनके फर्जी दस्तावेज बनवाए जाते हैं। हाल में उत्तर प्रदेश के कानपुर में कई बांग्लादेशी पकड़े गए थे। उन्हें भारत में बसाने के लिए जरूरी कागजातों पर सत्यापन का काम समाजवादी पार्टी का स्थानीय विधायक इरफान सोलंकी करता था।
दरअसल, दिसंबर 2022 में कानपुर पुलिस ने अवैध तौर पर रह रहे 5 बांग्लादेशी मुस्लिमों को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपितों में 2 पुरुष, 2 महिलाएँ और एक नाबालिग किशोर शामिल थे। ये सभी घुसपैठिए फर्जी पहचान के साथ भारत में रह रहे थे। इनके पास से कई पासपोर्ट और आधार कार्ड बरामद किए गए थे।
इनमें से एक बांग्लादेशी नागरिक कई देशों की यात्रा भी कर चुका था और उसके पास तमाम देशों की करेंसी भी बरामद हुई थी। कानपुर विधायक इरफ़ान सोलंकी ने इन सभी के कागजातों को वेरिफाई किया था। पूछताछ की गई तो आरोपितों ने बताया कि वो मूल रूप से बांग्लादेश के खुलना जिले के निवासी हैं। पुलिस को आरोपितों ने बताया था कि वे साल 2016 से भारत में रह रहे हैं।