महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद गिरफ्तार किए गए उनके शिष्य आनंद गिरि के आश्रम से 7 घंटे की छापेमारी करने के बाद सीबीआई की एक टीम उन्हें वापस प्रयागराज ले गई। दोपहर में फ्लाइट से उन्हें वापस ले जाया गया। जबकि एक टीम हरिद्वार में रहकर खुफिया तरीके से जाँच करेगी। सीबीआई की टीम लैपटॉप, मोबाइल, आईडी और पासवर्ड लेकर वापस लौट गई है।
Anand Giri, an accused in president of Akhil Bharatiya Akhada Parishad Mahant Narendra Giri death case, brought to Prayagraj by the Police. pic.twitter.com/yoho9slC4r
— ANI UP (@ANINewsUP) September 30, 2021
सीबीआई ने आनंद गिरि के लैपटॉप और आईफोन को अपने कब्जे में लिया है। वहीं, महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के बचे दो आरोपित आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी से प्रयागराज के पुलिस लाइन में अभी भी सीबीआई की टीम पूछताछ कर रही है।
बुधवार (सितंबर 29, 2021) की शाम को श्यामपुर गाजीवाला स्थित आश्रम पहुँची सीबीआई की टीम ने देर रात 3 बजे तक आश्रम में छापेमारी की और केस से जुड़े सबूत जुटाए। टीम ने एक एक कर रात तक 6 लोगों से पूछताछ की। इनमें दो संतों के अलावा, दो सेवादार, मोबाइल कारोबारी और एक बिल्डर शामिल थे।
एक टीम को हरिद्वार में ही रोका गया। जो स्थानीय पहलुओं पर जाँच करेगी। इसमें सीबीआई के एक दरोगा और सिपाही हरिद्वार में रहकर ही पूरे मामले में निगाह रखेंगे। गुरुवार को करीब 11 बजे टीम रानीपुर स्थित एक गेस्ट हाउस से निकली। टीम को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन टीम सीधा जौलीग्रांट पहुँची। जहाँ दोपहर 1:45 बजे सीबीआई टीम की प्रयागराज की फ्लाइट बुक थी।
बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में उनके शिष्य संत आनंद गिरि भी आरोपित हैं। मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई जाँच कर रही है। कथित सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि ने संत आनंद गिरि का उल्लेख करते हुए कहा कि वह हरिद्वार से उनकी किसी महिला या लड़की के साथ फोटो और वीडियो वायरल कर सकता है। इसके बाद हरिद्वार पुलिस ने आनंद गिरि को श्यामपुर कांगड़ी स्थित उसके आश्रम से गिरफ्तार करके प्रयागराज पुलिस को सौंप दिया था।
गौरतलब है कि पिछले दिनों बाघमबरी मठ में सीबीआई की टीम ने सीन को रीक्रिएट किया था। इस दौरान महंत के वजन के बराबर एक बोरे को पंखे से लटकाया गया। इसके बाद सीबीआई ने सबसे पहले दरवाजा खोलने और शव को फाँसी के फंदे से नीचे उतारने के सीन को दोहराया। इस दौरान जाँच एजेंसी ने सर्वेश, सुमित औऱ धनंजय से सीन को रीक्रिएट करवाया, जैसे दरवाजा खोलने, सबसे पहले क्या देखने और कैंची के संबंध में पूछताछ की। हालाँकि, पंखा चलने को लेकर कोई भी जवाब नहीं दे सका। मठ के पूर्व महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी बलबीर गिरि समेत कई संतों से भी पूछताछ की गई थी।