राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने जामिया मिलिया इस्लामिया के वाइस चांसलर को समन भेजा है। यह कार्रवाई हरेंद्र कुमार की 2018 में की गई शिकायत के आधार पर की गई है। कुमार यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाली जामिया मिडिल स्कूल में गेस्ट टीचर थे। उनका आरोप है कि दलित होने की वजह से स्कूल के हेडमास्टर मोहम्मद मुर्सलीन उन्हें अपमानित और प्रताड़ित करते थे। 2018 में नौकरी से निकाले जाने के बाद कुमार ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें हेडमास्टर पर अन्य शिक्षकों के सामने अपने लिए जातिसूचक संबोधन के इस्तेमाल का आरोप लगाया था।
भेजे गए समन में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर को 13 अक्टूबर 2021 को सुबह 11 बजे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के समक्ष पाँचवे तल, लोकनायक भवन नई दिल्ली में उपस्थित हो अपना जवाब रखने को कहा गया है।
समन में स्पष्ट कहा गया है कि बेहद विशेष परिस्थिति न हो तो वाइस चांसलर को स्वयं उपस्थित होना है। हरेंद्र कुमार ने कहा था, “मैं वर्ष 2017 में बतौर गेस्ट टीचर नियुक्त हुआ था और वर्ष 2018 में बिना किसी वजह के निकाल दिया गया। कार्यकाल के दौरान प्रधानाध्यापक मोहम्मद मुर्सलीन का व्यवहार मेरे लिए ठीक नहीं रहा। तमाम ऐसे व्यक्तिगत कार्य करवाए गए जो विभाग से संबंधित नहीं थे। वे मुझ से चाय बनवाने, साफ-सफाई जैसे काम करवाते और कई बार उन्होंने मेरी जाति को ले कर अशोभनीय टिप्पणी भी की।”
हालाँकि हेडमास्टर मोहम्मद मुर्सलीन ने इन आरोपों को आधारहीन और झूठा बताया था। उन्होंने हरेंद्र पर अपनी जाति का फायदा उठाकर बदला लेने का आरोप लगाया था। जिस समय की यह घटना है उस समय वाइस चांसलर तलत अहमद थे। गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन पर जनवरी 2021 में भी दलित हिन्दुओं के साथ भेदभाव के आरोप लगे थे। तब 23 सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि छंटनी के नाम पर केवल वाल्मीकि लोगों को ही विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बाहर किया है।