पंजाब में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता खराब होती जा रही है। इसको देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने स्वत: संज्ञान लिया है और पंजाब के मुख्य सचिव और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सदस्य सचिव को नोटिस जारी किया है।
एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो पंजाब में खेतों में आग लगाने की घटनाओं में वृद्धि को उजागर करने वाली एक मीडिया रिपोर्ट के बाद स्वत: संज्ञान से शुरू हुई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक जाड़े के मौसम के शुरुआत में पंजाब में पराली जलाना है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट पर भी गौर किया। इसमें पंजाब के उन इलाकों के तीन साल के आँकड़ों का तुलनात्मक विवरण दिया गया था, जो पराली जलाने के हॉटस्पॉट जिले के रूप में जाने जाते हैं। दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाओं में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पीठ ने शुक्रवार (20 अक्टूबर 2023) को कहा, “राज्य में पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों का प्रभावी कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। जिस अवधि में पराली जलाई जाती है वह मुख्य रूप से 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच होती है। इसलिए, इस अवधि के दौरान संबंधित अधिकारियों को उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने और जुर्माना लगाने सहित उपचारात्मक उपाय करने में सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।”
एनजीटी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की एक रिपोर्ट भी रिकॉर्ड में ली है। इसमें साल 2022 में पराली जलाने की घटनाओं की वास्तविक गणना और चालू वर्ष में उन्हें कम करने के लक्ष्य बताए गए थे। ट्रिब्यूनल ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्षेत्रानुसार फसल अवशेष प्रबंधन योजना तैयार करने और रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया।
ट्रिब्यूनल ने कहा, “हम मुख्य सचिव और सदस्य सचिव, सीपीसीबी को नोटिस जारी करना भी उचित समझते हैं।” ट्रिब्यूनल ने पीपीसीबी और सीएक्यूएम से कार्रवाई की रिपोर्ट माँगी है। इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 8 नवंबर 2023 को सूचीबद्ध किया गया है।