‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)’ ने मदरसों में बच्चों को रखे जाने पर स्वतः संज्ञान लिया है। बता दें कि ‘इंडिया टुडे’ ने एक ख़बर चलाई थी, जिसमें दिखाया गया था कि मदरसों में छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन करते हुए रखा गया है और सरकारी दिशानिर्देशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। एनसीपीसीआर ने रिपोर्ट के हवाले से माना है कि उन मदरसों में लॉकडाउन का खुला उल्लंघन हो रहा है। ये मामला मदनपुर खादर एक्सटेंशन स्थित दारुल उल-उलूम उस्मानिया और मदरसा इस्लाहुल मूमिनीन का है।
एनसीपीसीआर ने सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन्स का जिक्र करते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। एनसीपीसीआर ने सभी हॉस्टलों, मदरसों और स्कूलों के लिए पहले ही एडवाइजरी जारी कर दी थी। साथ ही कहा कि उन लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी एक्शन लिया जाएगा, जो बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जल्द से जल्द कार्रवाई किए जाने की बात भी कही गई है। जल्द ही उन मरदसा के संचालकों से पूछताछ होगी।
दरअसल, ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकारों ने पाया था कि दिल्ली के मदरसों में छात्रों को कमरों में भेंड़-बकरियों की तरह रखा जा रहा है। मदरसा के शिक्षकों ने बताया कि वे छात्रों को छिपा के रखते हैं, ताकि पुलिस उन्हें लेकर नहीं जाए। उन्होंने कुछ पुलिसकर्मियों को घूस तक देने का दावा किया, ताकि मदरसा के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न हो। ‘इंडिया टुडे’ ने अपनी इस इन्वेस्टीगेशन को ‘मदरसा हॉटस्पॉट्स’ नाम दिया।
पाया गया था कि एक मदरसा में तो 18 बच्चे हैं और पड़ोस में 6 को छिपाया गया है। बता दें कि बच्चों और बुजुर्गों में कोरोना के संक्रमण का ख़तरा तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। ऐसे में छात्रों के साथ इस तरह का ख़तरनाक खेल खेलने को लेकर आवाज़ नहीं उठाई जानी चाहिए? मदरसा के लोग निजामुद्दीन के मरकज़ से जुड़े हुए हैं, जो तबलीगी जमात का मुख्यालय है। बच्चों को भी मरकज़ ले जाया जाता है। ज्ञात हो कि इसी एक इमारत में हुए मजहबी कार्यक्रमों के कारण देश भर में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में अचानक से इजाफा हो गया है।