राष्ट्रीय बाल अधिकार संक्षरण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर गैर-मुस्लिम बच्चों को दाखिला देने वाले मदरसों की विस्तृत जाँच करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिवों को सभी मदरसाें की मैपिंग के भी निर्देश दिए गए हैं।
NCPCR writes to Chief Secys of all States/UTs, recommending conducting a detailed inquiry of all govt funded/recognized madrasas that are admitting non-Muslim children & admit all such children in schools subsequent to the inquiry; also recommends mapping of all unmapped madrasas pic.twitter.com/y2DYNMdWfu
— ANI (@ANI) December 9, 2022
एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर निर्देश जारी किए हैं। एनसीपीसीआर प्रमुख ने अपने निर्देशों में कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संक्षरण आयोग सभी सरकारी वित्त पोषित/ मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जाँच करने की सिफारिश करता है जो गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं।
एनसीपीसीआर ने पत्र में कहा कि उसे कई शिकायतें मिली हैं कि गैर-मुस्लिम समुदायों के बच्चों को सरकार द्वारा वित्तपोषित मदरसों में प्रवेश दिया जा रहा है और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। पत्र के अनुसार, ”यह संविधान के अनुच्छेद 28 (3) का स्पष्ट उल्लंघन है, जो शैक्षणिक संस्थानों को माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को मजहबी शिक्षा में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है।”
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने यह भी कहा कि हालाँकि मदरसे मुख्य रूप से मजहबी शिक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं जो सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं, वे बच्चों को मजहबी और कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य को बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 6 के अनुसार औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में जाएँ। इसलिए, एनसीपीसीआर ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकार द्वारा वित्तपोषित मदरसों की विस्तृत जाँच करने के लिए कहा है जो गैर-मुस्लिम छात्रों को प्रवेश दे रहे हैं।
एनसीपीसीआर ने इसके साथ ही ऐसे मदरसों में जाने वाले बच्चों का फिजिकल वेरिफिकेशन करने के लिए भी कहा है। पत्र के अनुसार, अधिकारियों से जाँच के बाद ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए कहा गया है।
एनसीपीसीआर ने गुरुवार (8 दिसंबर 2022) को जारी नोटिस में यह भी कहा है कि राज्य सभी मदरसों की मैपिंग करेंगे और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट जमा करेंगे। इससे पहले नवंबर में केंद्र सरकार ने कक्षा 1 से 8 तक के मदरसा छात्रों को छात्रवृत्ति देना बंद कर दिया है। कक्षा 1 से 5 तक के मदरसा बच्चों को 1,000 रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती थी, जबकि कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को छात्रवृत्ति उनके पाठ्यक्रमों के आधार पर मिलती थी।