किसान प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को तगड़ा नुकसान हुआ है। दो किसानों के धरना प्रदर्शन के चक्कर में NHAI को ₹1000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान हरियाणा और पंजाब में स्थित टोल प्लाजा पर हुआ है।
द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार दिसम्बर, 2020 से दिसम्बर, 2021 और फरवरी, 2024 से मार्च 2024 के बीच चले किसानों के धरना प्रदर्शन के कारण NHAI को टोल प्लाजा पर फीस का संग्रह रोकना पड़ा था। इसके कारण उसे इस अवधि में ₹1000 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।
यह जानकारी ट्रिब्यून को RTI के माध्यम से मिली है। RTI में बताया गया है कि दिसम्बर 2020 से दिसम्बर 2021 के बीच चले किसान प्रदर्शन के दौरान घरौंदा टोल प्लाजा पर ₹304 करोड़ जबकि घग्गर टोल प्लाजा पर ₹151 करोड़ का नुकसान हुआ है। इसके अलावा पानीपत के टोल प्लाजा पर ₹77 करोड़, थाना टोल प्लाजा पर ₹23 करोड़ और सैनी माजरा में ₹20.70 करोड़ का नुकसान हुआ था। यह सभी टोल प्लाजा NHAI के अम्बाला डिविजन के अंतर्गत आते हैं।
इसी दौरान NHAI के सोनीपत डिवीजन में भागन टोल प्लाजा पर ₹154 करोड़, रोहड़ टोल प्लाजा पर ₹85 करोड़, मकरौली दाहर टोल प्लाजा पर ₹70 करोड़, छारा टोल प्लाजा पर ₹17 करोड़ और किताला टोल प्लाजा पर ₹13 करोड़ का नुकसान हुआ। दिसम्बर 2020 से दिसम्बर 2021 तक किसान प्रदर्शन के दौरान कुल मिलाकर ₹914 करोड़ का नुकसान हुआ।
वहीं 12 फरवरी, 2024 से मार्च, 2024 के दौरान चले किसान प्रदर्शन में घरौंदा टोल प्लाजा पर ₹4.91 करोड़ और घग्गर टोल प्लाजा पर ₹98.55 करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अलावा भगन टोल प्लाजा पर ₹4.27 करोड़ और रोहड़ टोल प्लाजा पर ₹53 लाख का नुकसान हुआ। किसान प्रदर्शन के दूसरे चरण में लगभग ₹108 करोड़ नुकसान हुआ। इस तरह दोनों चरण में मिलाकर NHAI को ₹1000 करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा। यह नुकसान राष्ट्रीय राजमार्ग 44 और 152 पर हुआ है।
इसी दौरान गाजियाबाद के NHAI यूनिट को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर भी ₹15.4 करोड़ का नुकसान झेला। किसानों के धरना प्रदर्शन के कारण यह एक्सप्रेसवे लगभग 2 महीने तक बंद रहा। NHAI के लिए यह टोल वह कम्पनियाँ इकट्ठा करती हैं जो यह रोड बनाती हैं। अब NHAI ने इन कम्पनियों को उतनी ही अवधि के लिए टोल वसूलने की इजाजत दी गई है।
इस किसान प्रदर्शन को लेकर कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने उस समय बताया था कि 12 महीनों में देश को इस आंदोलन के कारण करीब ₹60,000 करोड़ का नुकसान हुआ था। व्यापारियों के संगठन ने कहा था कि ये घाटा मुख्यतः इस आंदोलन के शुरुआती स्टेज यानी, नवंबर-दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में हुआ था। इस दौरान भी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही में काफी दिक्कतें आई थी।