Monday, May 6, 2024
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किसान संगठनों ने MSP पर मोदी सरकार का फॉर्मूला ठुकराया, PHDCCI ने बताया- हर रोज ₹500 करोड़ का हो रहा नुकसान

इससे पहले 2020 में हुए किसान आन्दोलन के कारण भी अर्थव्यस्था को गहरी चोट पहुँची थी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने उस समय बताया था कि 12 महीनों में देश को इस आंदोलन के कारण करीब ₹60,000 करोड़ का नुकसान हुआ था।

18 फरवरी 2024 को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इस दौरान केंद्र सरकार ने 4 फसलों पर एमएसपी की गारंटी का फॉर्मूला पेश किया था। लेकिन किसान संगठनों ने इस अस्वीकार करते हुए 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। इस बीच PHD चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने बताया है कि मौजूदा किसान आंदोलन के कारण प्रतिदिन करीब 500 करोड़ रुपए का उद्योग-धंधों को नुकसान हो रहा है।

हरियाणा-पंजाब की सीमा पर जारी आन्दोलन के कारण पंजाब के कारोबारी भी प्रभावित हो रहे हैं। इसका प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में दिखेगा। यह जानकारी PHD चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने दी है।

अग्रवाल ने मीडिया को बताया है कि किसानों के प्रदर्शन की वजह से उत्तर भारत के राज्यों में रोजाना ₹500 करोड़ का नुकसान हो रहा है। किसान आन्दोलन के कारण बॉर्डर सील हैं और मालवाहक वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही है। इससे रोजगार पर भी फर्क पड़ रहा है। पंजाब की छोटी कम्पनियों पर भी असर पड़ रहा है।

अग्रवाल ने बताया कि इसका असर वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) वाली तिमाही के GDP बढ़त के आँकड़ों पर दिखेगा और यह इस इलाके में धीमी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस रुकावट के कारण फ़ूड प्रोसेसिंग, ऑटोमोबाइल, फ़ार्म मशीनरी, टूरिज्म और कच्चे माल जैसे क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।

गौरतलब है कि किसान वर्तमान में हरियाणा-पंजाब के शम्भू बॉर्डर पर कब्जा किए हुए हैं। संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों और सरकार से जल्द ही इस मामले को सुलझाने की अपील की है। इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार द्वारा किसानों के लिए उठाए गए क़दमों जैसे कि किसान सम्मान निधि की प्रशंसा भी की।

गौरतलब है कि 13 फरवरी से शुरू हुए किसानों के हालिया प्रदर्शन के बाद उनकी सरकार के साथ अब तक कई बार बातचीत हो चुकी है। किसानों की माँग को लेकर हालिया बातचीत 18 फरवरी को चंडीगढ़ में हुई थी।

केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रस्ताव लाने के बाद किसान प्रदर्शनकारी थोड़े शांत हुए हैं। उन्होंने सरकार से चौथे दौर की बातचीत के बाद अपना प्रदर्शन कुछ समय रोकने का ऐलान किया। ये प्रस्ताव सरकार रविवार को लेकर आई। इस दौरान सरकार की ओर से एमएसपी पर फसल खरीदने के लिए 5 साल का कॉन्ट्रैक्ट करने के प्रस्ताव दिया गया था। ये कॉन्ट्रैक्ट एनसीसीएफ, NAFED और CCI जैसी सहकारी समितियों के साथ करने की बात कही गई थी। खरीद की लिमिट नहीं रखने का भी भरोसा दिया गया था। जिन उपजों को लेकर यह प्रस्ताव दिया गया था उनमें उड़द दाल, मसूर दाल और मक्का-कपास शामिल हैं।

इस बैठक में किसानों के 14 प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए थे। इनके अलावा बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि इससे पहले 2020 में हुए किसान आन्दोलन के कारण भी अर्थव्यस्था को गहरी चोट पहुँची थी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने उस समय बताया था कि 12 महीनों में देश को इस आंदोलन के कारण करीब ₹60,000 करोड़ का नुकसान हुआ था। व्यापारियों के संगठन ने कहा था कि ये घाटा मुख्यतः इस आंदोलन के शुरुआती स्टेज यानी, नवंबर-दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में हुआ था। इस दौरान भी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही में काफी दिक्कतें आई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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