कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के रामेश्वर कैफे में हुए ब्लास्ट के आरोपित की पहचान कर ली गई है। इसकी पहचान मुसाविर हुसैन शाज़िब के रूप में हुई है और इसी कैफे में IED रखा था। इतना ही नहीं, शाजिब के साथ देने वाले आतंकी की भी पहचान कर ली गई है। उसका नाम अब्दुल माथेरन ताहा है। दोनों कर्नाटक के शिवमोगा जिले के तीर्थहल्ली के निवासी हैं और ISIS के शिवमोगा मॉड्यूल से जुड़े हैं।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने दोनों के ऊपर 3-3 लाख रुपए का इनाम रखा है। दोनों कर्नाटक में साल 2020 में हुई एक आतंकी घटना में वॉन्टेड हैं। दोनों ने 1 मार्च 2024 को बेंगलुरु के रामेश्वर कैफे में IED ब्लास्ट किया था, जिसमें 10 लोग घायल हो गए थे। हालाँकि, यह ब्लास्ट बहुत शक्तिशाली नहीं था, लेकिन इसके कारण अफरा-तफरी मच गई थी।
BREAKING: Bengaluru Rameshwaram Cafe blast accused identified as Mussavir Shazib of Shivamogga, Karnataka. Agencies say he’s been staying in Chennai for the last 2 months, report @arvindojha & @sagayrajp on @IndiaToday. pic.twitter.com/semwmRPjpY
— Shiv Aroor (@ShivAroor) March 23, 2024
आरोपितों की पहचान के लिए NIA ने सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे। इन सीसीटीवी फुटेज में कुछ संदिग्ध अलग-अलग वेश-भूषा में नजर आए थे। तस्वीरों में आतंकी कभी टोपी पहने तो कभी मास्क लगाए नजर आया था। उसकी बस में यात्रा की तस्वीरें भी सामने आई थीं। NIA ने संदिग्ध की एक तस्वीर जारी करते हुए जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की थी।
एनआईए के सूत्रों ने विस्फोट से पहले उनके मूवमेंट की जाँच की और पाया कि दोनों चेन्नई के ट्रिप्लीकेन में एक लॉज में रुके थे और विस्फोट के बाद फिर से चेन्नई लौट आए थे। आरोपितों का आखिरी ठिकाना आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में पाया गया है, जिसकी सीमा तमिलनाडु राज्य से लगती है। शाजिब की पहचान उसकी टोपी से की गई है।
जाँच से पता चला कि शाजिब और ताहा ने चेन्नई के मायलापुर के एक मॉल से टोपी हासिल की थी और ट्रिप्लिकेन में ठहरे थे। इससे पहले, जाँचकर्ताओं ने संदिग्ध के कई सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए थे, लेकिन टोपी के कारण उसकी पहचान छिपी रही। हालाँकि, टोपी पर अंकित नंबर के आधार पर NIA ने इसकी जानकारी हासिल की और पता चला कि इसे जनवरी में एक मॉल से खऱीदा गया था।
जाँच के दौरान पता चला कि यह टोपी सीमित संस्करण की थी और इसे दक्षिणी राज्यों में लगभग 400 लोगों को बेचा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, “खरीदारी के दिन मॉल के सीसीटीवी फुटेज में कर्नाटक के तीर्थहल्ली के निवासी शाजिब और ताहा दिखे। दोनों आंध्र प्रदेश जाने से पहले फर्जी आईडी का उपयोग करके जनवरी और फरवरी में ट्रिप्लिकेन में एक लॉज में रुके थे।”
एनआईए के अधिकारियों ने इस टोपी को बेंगलुरु में घटनास्थल से तीन किलोमीटर दूर एक शौचालय से बरामद किया था। इस टोपी पर मिले बालों के नमूने इकट्ठे किए गए और उसकी फोरेंसिक जाँच के लिए भेज दिया गया था। इसके बाद एनआईए ने शाजिब के निकटतम परिवार के सदस्यों के डीएनए से बाल के डीएनए का मिलान किया तो मिल गया। इसके बाद उसकी पहचान हुई।