Sunday, December 22, 2024
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NIA कोर्ट ने ISIS आतंकी आतिफ और फैसल को दी फाँसी की सजा: तिलक और कलावा देख टीचर को मारी थी गोली, वीडियो बना भेजा था सीरिया

बता दें कि केस लगभग 78 महीने तक चला। अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 29 गवाह पेश हुए थे। इन गवाहों में उत्तर प्रदेश सरकार में वर्तमान राज्यमंत्री असीम अरुण भी शामिल हैं। ट्रायल के दौरान असीम अरुण ATS के IG पद पर तैनात थे। हालाँकि जाँच एजेंसी ने कुल 64 गवाहों के बयान दर्ज करवाए थे। सबूत के तौर पर 61 दस्तावेज भी जमा हुए थे।

लखनऊ की NIA कोर्ट ने तिलक और कलावा देखकर हत्या करने वाले ISIS के दो आतंकियों को गुरुवार (14 सितंबर 2023) को फाँसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है। आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल खान ने कानपुर के जाजमऊ में रिटायर्ड शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की अदालत ने आतिफ और मोहम्मद फैसल को IPC की धारा 302, 120B और UAPA की धारा 16 एवं 18 के तहत फाँसी की सजा सुनाई है। इससे पहले कोर्ट ने 4 सितंबर 2023 को दोनों आतंकियों को दोषी ठहराया था।

आतंकियों को फाँसी की सजा मिलने पर मृतक के परिजनों ने खुशी जाहिर की है। रमेश बाबू शुक्ला की पत्नी ने आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल खान को मौत की सजा मिलने पर कहा कि अब जाकर उनके कलेजे को ठंडक मिली है। दोनों दोषी और मृतक कानपुर के रहने वाले हैं।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, NIA के विशेष वकील कौशल किशोर शर्मा ने कहा कि उन्होंने कोर्ट से दोनों आतंकियों के लिए मृत्यु दंड की माँग की थी। इसके लिए कोर्ट में दलील दी थी कि दोनों ने एक निर्दोष शिक्षक के हाथ में बंधे कलावा और माथे पर तिलक देखकर हत्या की थी।

उन्होंने आगे कहा कि जो अच्छा इंसान बनने की शिक्षा देता है, उसकी हत्या कर जिहाद पर चर्चा का माहौल बनाया गया था। इन दोनों के अपराध रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आते हैं। इसके आधार पर कोर्ट ने इन्हें फाँसी की सजा सुनाई है। वहीं, इनका एक साथी मोहम्मद सैफुल्लाह उत्तर प्रदेश ATS के साथ मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुका है।

बता दें कि केस लगभग 78 महीने तक चला। अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 29 गवाह पेश हुए थे। इन गवाहों में उत्तर प्रदेश सरकार में वर्तमान राज्यमंत्री असीम अरुण भी शामिल हैं। ट्रायल के दौरान असीम अरुण ATS के IG पद पर तैनात थे। हालाँकि जाँच एजेंसी ने कुल 64 गवाहों के बयान दर्ज करवाए थे। सबूत के तौर पर 61 दस्तावेज भी जमा हुए थे।

क्या था घटनाक्रम

कानपुर के चकेरी थाना क्षेत्र के विष्णुपुरी कालोनी में रहने वाले रमेश बाबू 24 अक्टूबर 2016 को कॉलेज से पढ़ा कर घर लौट रहे थे। रास्ते में खड़े 2 युवकों ने उन्हें गोली मार दी। इस हमले में रमेश बाबू की मौके पर ही मौत हो गई। तब पुलिस ने अज्ञात हमलावरों पर FIR दर्ज कर के जाँच शुरू की। हालाँकि घटना के 7 माह बीत जाने पर भी हमलावरों का कुछ अता-पता नहीं चल पाया।

इस बीच 7 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश ATS की लखनऊ में उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट के साजिशकर्ता सैफुल्लाह से मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में सैफुल्लाह मारा गया पर उसके पास से बरामद हथियार चकेरी में रमेश बाबू की हत्या में प्रयोग हुए पाए गए।सैफुल्लाह केस की जाँच में UP ATS के साथ NIA भी शामिल हो गई।

NIA ने हथियारों के कनेक्शन जोड़ते हुए पहले फैज़ल और बाद में आतिफ को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों ने खुद को ISIS के खुरसान मॉड्यूल का सदस्य बताया। सैफुल्लाह भी इसी नेटवर्क से जुड़ा था। फैज़ल और आतिफ को ISIS के नेटवर्क से हथियार मिले थे। इन सभी ने भारत में जिहाद फैलाने की कसम भी खाई थी।

इन हथियारों को चलाने की प्रैक्टिस वो नदी के किनारे किया करते थे। रमेश बाबू की हत्या करके दोनों ने हथियारों की टेस्टिंग की थी। एक बार दोनों ने लखनऊ के ऐशबाग में IED ब्लास्ट का भी प्रयास किया था। हालाँकि वो विस्फोटक फट नहीं पाया।

खासतौर पर कत्ल के लिए रमेश को ही चुनने की वजह दोनों ने उनके हाथ में कलावा और माथे पर तिलक होना बताया था। जाँच के दौरान यह भी सामने आया था कि आतिफ और फैज़ल ने रमेश बाबू की हत्या से पहले वीडियो रिकार्डिंग भी की थी। यह वीडियो सीरिया में आतंकियों को भेजी थी। पुलिस ने इस हत्याकांड के बाद आस-पास के कुछ अन्य लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था। हालाँकि सबूत न मिलने के कारण बाकियों को छोड़ दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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