NIA द्वारा कश्मीरी अलगाववादियों के ख़िलाफ़ चलाई जा रही जाँच में कुछ अहम बातें पता चली हैं। जाँच एजेंसी ने कहा है कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को विदेश से काफ़ी फंडिंग मिली लेकिन इन्होंने इन रुपयों का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत फायदों के लिए किया। अलगाववादी नेताओं ने अपने लिए अकूत संपत्ति का अर्जन किया और अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेजा। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस व अन्य अलगाववादी संगठनों के कई नेताओं से पूछताछ के दौरान इन लोगों ने स्वीकार किया कि उन्हें कश्मीर में अलगाववाद फैलाने के लिए पाकिस्तान से फंडिंग मिलती है।
दुख़्तरन-ए-मिल्लत की नेत्री आसिया अंद्राबी के बेटे ने मलेशिया में पढ़ाई की है और टेरर फंडिंग मामले में गिरफ़्तार ज़हूर वटाली ने उसका पूरा ख़र्च वहन किया था। एनआईए ने इस मामले में अंद्राबी से पूछताछ की। अंद्राबी ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि वह और उनका संगठन विदेश से रुपए जुटाता है और फिर कश्मीर में महिलाओं द्वारा प्रदर्शन कराने के लिए इन रुपयों का इस्तेमाल किया जाता है। अंद्राबी के बेटे मोहम्मद बिन वसीम ने मलेशिया में रहते हुए जिन बैंक खातों का प्रयोग किया, उसके बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए एनआईए पहले ही सम्बद्ध अधिकारियों से संपर्क कर चुकी है।
BREAKING: “JKLF’s Yasin Malik, Duktaran-e-Milat’s Asiya Andrabi, JKDFP’s Shabir Shah, Muslim League’s Masarat Alam were taken into police custody for custodial interrogation in the 2018 J&K terror funding case earlier this month,” says NIA | @vijaita
— The Hindu (@the_hindu) June 16, 2019
एक अन्य अलगाववादी नेता शब्बीर शाह से पहलगाम में उनके होटल सम्बंधित व्यापार को लेकर पूछताछ की गई। उस होटल के पाकिस्तान से प्राप्त किए गए रुपयों का इस्तेमाल कर के बनाए जाने की बात सामने आई है। पाकिस्तान के आकाओं और “ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस” के नेताओं द्वारा हुर्रियत से जुड़े संगठनों के खातों में रुपए ट्रांसफर किए गए। एनआईए के पास इससे सम्बंधित सबूत हैं और इसे लेकर शब्बीर शाह से पूछताछ की गई। शब्बीर के जम्मू, श्रीनगर और अनंतनाग में भी व्यापार हैं।
एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि विदेशी फंडिंग को लेकर अलगाववादी नेताओं में भी आपस में मतभेद है। कश्मीरी पत्थरबाजों के ‘पोस्टर बॉय’ मशरत आलम ने एनआईए को बताया कि हवाला के जरिए पाकिस्तान से रुपए अलगाववादियों को भेजे जाते हैं। इस फंडिंग और इसके प्रयोग को लेकर अलगाववादी नेता आपस में ही लड़ाई कर रहे हैं, ऐसा आलम ने दावा किया है। यासीन मलिक और वटाली अभी जाँच एजेंसी के कब्ज़े में है और सुप्रीम कोर्ट ने वटाली की जमानत याचिका खारिज़ कर दी थी। टेरर फंडिंग की जाँच कर रही एनआईए ने कई गिरफ्तारियाँ की है और अब मामले में सिर्फ़ कड़ियाँ जोड़ने का काम किया जा रहा है।
एनआईए ने कई अन्य अलगाववादियों को भी हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि टेरर फंडिंग के मामले में उनकी निशानदेही पर कश्मीर घाटी से कुछ अन्य गिरफ्तारियाँ भी हो सकती हैं।