राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई बड़े वकीलों और विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों पर छापेमारी की। छापेमारी 22 ऐसे लोगों पर की गई जिन पर माओवादियों के साथ संबंध का संदेह था। हैदराबाद में एनआईए ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर तेलंगाना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता वी रथुनाथ और जन नित्या मंडली के पूर्व सदस्य दप्पू रमेश के घरों पर छापा मारा।
आंध्र प्रदेश में भी कई व्यक्तियों पर माओवादी के साथ संबंध के संदेह में छापे मारे गए। इनमें मानव अधिकार मंच के समन्वय समिति के सदस्य वीएस कृष्णा, आंध्रप्रदेश सिविल लिबर्टीज कमेटी (APCLC) के महासचिव चिलिका चंद्रशेखर, रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन की वरलक्ष्मी, APCLC के अध्यक्ष सी बाबू, अधिवक्ता के. पद्मा और के. चेलम, रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन के जी. पिनाकपाणी और ‘रायलसीमा विद्यावंथुला वेदिका’ के अध्यक्ष सोमशेखर शर्मा शामिल हैं।
रिवोल्यूशनरी राइटर्स एसोसिएशन, सिविल लिबर्टीज कमेटी, प्रजा कला मंडली और चैतन्य महिला संगम जैसी संस्थाओं के अन्य सदस्यों और कार्यकर्ताओं के घरों पर भी एनआईए द्वारा छापेमारी की गई।
OpIndia पहले भी सिविल सोसायटी, सीआरपीपी और माओवादियों के संबंधों पर आधारित रिपोर्ट दे चुका है।
APCLC और चिलिका चंद्रशेखर के माओवादी संबंध
हथियारों से लैस माओवादियों के साथ संबंध रखने और जिला पंचायत के वाइस चेयरमैन समिदा रविशंकर की हत्या में माओवादियों का साथ देने के जुर्म में APCLC के कई कार्यकर्ता पकड़े जा चुके हैं। 2012 में माओवादियों की सांस्कृतिक संस्था चेतना नाट्य मंच के 18 सदस्यों के साथ APCLC के 2 सदस्य गिरफ्तार हुए थे। 2003 में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर हमले के आरोप में आंध्रप्रदेश पुलिस ने APCLC के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
2014 में वारवरा राव और APCLC के महासचिव चिलिका चंद्रशेखर समेत 50 लोग हैदराबाद में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। दरअसल उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित माओवादी पार्टी के प्रमुख संगठन ‘फोरम फॉर पॉलिटिकल अल्टरनेटिव’ को मीटिंग की अनुमति नहीं दी थी और उसके बाद भी इस मीटिंग का आयोजन किया जा रहा था। APCLC के संबंध वारवरा राव के साथ रहे हैं जो 2017 में गढ़चिरौली में मारे गए माओवादी के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था और माओवादी कमांडर कपुका प्रभाकर के मौत की बरसी पर भी गया था।
सीआरपीपी और भीमा-कोरेगाँव हिंसा
CRPP एक अन्य संगठन है जिसके विरुद्ध पुणे पुलिस द्वारा जाँच की जा रही है। इस संगठन पर भीमा-कोरेगाँव की हिंसा और प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश का आरोप है। पुणे पुलिस द्वारा एक अन्य कार्यकर्ता वर्नोन गोंसाल्विस पर छापेमारी की गई जो सीआरपीपी का एक कार्यकारी सदस्य है। जून में गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक रोना विल्सन है, जो सीआरपीपी का जनसंपर्क सचिव है। सीआरपीपी का अध्यक्ष एसएआर गिलानी है जो 2016 में राजद्रोह के लिए गिरफ्तार किया गया था। गिलानी स्वतंत्र कश्मीर का समर्थक रहा है।
जिस सीआरपीपी के सदस्यों पर पुणे पुलिस द्वारा की गई छापेमारी का कॉन्ग्रेस विरोध करती रही है, उसे कॉन्ग्रेस ने ही 2011 में एक माओवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित किया था। 5 मार्च को आंध्रप्रदेश द्वारा फाइल किए गए मंचिंगपुट केस को एनआईए ने अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था। इस केस में 80 लोगों के विरुद्ध UAPA के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। नवंबर 2020 में पुलिस ने स्थानीय पत्रकार पी. नागन्ना के यहाँ छापेमारी करके माओवादी साहित्य जब्त किया, जिसके आधार पर केस दर्ज हुआ। इसके बाद ही 80 लोगों का नाम दर्ज किया गया और जाँच प्रारंभ हुई।