Saturday, November 16, 2024
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भारत के खिलाफ विद्रोह, खालिस्तान से जुड़े मामले में ‘किसान नेता’ को समन, जवाब मिला – ‘नहीं आऊँगा, मेरे घर में शादी है’

"केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर रैली से डर गई है और इसीलिए वो 'पंजाब के लोगों को डराने-धमकाने' के लिए NIA के नोटिस का इस्तेमाल कर रही है।"

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने ‘लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी (LBWS)’ के बलदेव सिंह सिरसा को समन भेजा है। ये उन संगठनों में शामिल है, जो ‘किसान आंदोलन’ में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है, जहाँ किसानों को बरगलाने का खेल चल रहा है। देश के खिलाफ लोगों को भड़काने के मामले में उन्हें पूछताछ के लिए रविवार (जनवरी 17, 2021) को दिल्ली स्थित NIA के मुख्यालय में पेश होने को कहा गया है।

इस संगठन के तार गुरप्रीत सिंह पन्नू के अमेरिकी खलिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से भी जुड़े होने के आरोप लगे हैं, जो ‘किसान आंदोलन’ की आग में घी डालने का काम कर रहा है और वित्तीय मदद का ऐलान भी करता रहा है। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ये आंदोलन चल रहा है। पन्नू पर डर और अराजकता का माहौल बना कर लोगों के असंतोष को जन्म देने और उन्हें भड़का कर भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह कराने के आरोप हैं।

बलदेव सिंह सिरसा का नाम उन किसान नेताओं में भी शामिल है, जिनकी सरकार से कई स्तर की वार्ता के बावजूद अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। सिरसा ने दावा किया है कि केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर रैली से डर गई है और इसीलिए वो ‘पंजाब के लोगों को डराने-धमकाने’ के लिए NIA के नोटिस का इस्तेमाल कर रही है। बकौल सिरसा, इस समन का एक ही उद्देश्य है – किसान आंदोलन को पटरी से उतारना।

उन्होंने ऐलान किया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए उनका ‘संघर्ष’ जारी रहेगा। समन की खबर फैलते ही उनके समर्थक भी उग्र हो गए और अमृतसर के एक मॉल के बाहर जमा हो कर जम कर हंगामा किया। कुछ ‘सिख कार्यकर्ताओं’ का दावा है कि उन्हें भी ऐसे नोटिस मिले हैं, इसीलिए वो भी प्रदर्शन में शामिल हुए। कनाडा के पत्रकार बलतेज पन्नू ने कहा कि वो SFJ के लोगों से रोज गालियाँ सुनते हैं और ‘किसान आंदोलन’ में उनका कोई रोल नहीं, फिर भी उन्हें नोटिस मिला है।

उधर किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने शनिवार को कहा कि वह रविवार को NIA के समक्ष पेश नहीं हो पाएँगे, क्योंकि उनकी पोती की शादी है और इसी सिलसिले में वह फरवरी 7 तक पारिवारिक कार्यों में व्यस्त रहेंगे। उन्होंने कहा, “सरकार मेरी बोली लगा रही है। मैं किसानों के समर्थन की कीमत चुका रहा हूँ। मुझे व्हाट्सएप्प पर शॉर्ट नोटिस मिला है। ये आधिकारिक नहीं होता है। मुझे कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।”

सिख यूथ फेडरेशन (भिंडरवाले) के रणजीत सिंह ने दावा किया कि केंद्र की मोदी सरकार विरोध को कुचलने के लिए ये तरीके आजमा रही है और ‘किसानों का समर्थन करने वाले’ हर एक पर शिकंजा कस रही है। अभिनेता दीप सिद्धू और उनके भाई मनदीप ने ऐसे समन मिलने का दावा करते हुए कहा कि वो पहले दिन से ही ‘किसान आंदोलन’ का हिस्सा हैं और उनके परिवार को ‘प्रताड़ित’ कर के उन्हें धमकाया जा रहा है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) भी इन सबके समर्थन में उतर आया है। उसका कहना है कि यूएपीए लगा कर लोगों की आवाज़ को दबाने की कोशिश हो रही है। NGO खालड़ा मिशन आर्गेनाईजेशन और पंजाब ह्यूमन राइट्स आर्गेनाईजेशन (PHRO) ने तो समन को लोकतंत्र और मानवाधिकार का ही उल्लंघन करार दिया। उनका दावा है कि ये आंदोलन शांतिपूर्ण है, फिर भी इससे जुड़े लोगों को ‘प्रताड़ित’ किया जा रहा है।

अमेरिका, कनाडा और यूके में प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठनों के बैनर तले कई विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद जाँच एजेंसियाँ सतर्क हैं। खालिस्तानी SFJ द्वारा भी इनकी जम कर फंडिंग हो रही है। ‘इंडिया टुडे’ की खबर के अनुसार, खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े लगभग 2 दर्जन नेताओं को जाँच एजेंसियों के समन गए हैं और वित्तीय लेनदेन के कई मामलों में इनकम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय भी जाँच कर रहा है।

दिसंबर 2020 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने फरार खालिस्तानी आतंकवादी गुरजीत सिंह निज्जर को दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था। निज्जर को अलग खालिस्तान राज्य बनाने के लिए भारत में फिर से सिख आतंकवाद को जन्म देने की आपराधिक साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। निज्जर साल 2017 में भारत से फरार होकर यूरोप चला गया था और इन दिनों यूरोप के साइप्रस में रह रहा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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