ईद के मौके पर पूर्वी दिल्ली के खुरैझी इलाके में तेज रफ़्तार कार द्वारा 17 नमाजियों को टक्कर मारने की झूठी खबर अंग्रेजी मीडिया ने फैलाई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की DCP मेघा यादव ने नमाजियों को टक्कर मारने जैसे किसी भी दावे से इनकार किया था। ऑपइंडिया ने मेघा यादव से इस सम्बन्ध में बात की थी तो उन्होंने किसी भी न्यूज़ एजेंसी को ऐसी कोई भी सूचना देने की बात से भी इनकार किया था।
डीसीपी यादव के अनुसार कार चुराकर तेज़ रफ्तार से चलाने वाले व्यक्ति का नाम नहीं पता चल पाया है। हालाँकि अन्य स्रोतों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कार चालक का नाम शाहरुख़ बताया जा रहा है। ऑपइंडिया ने मेघा यादव से आज सुबह 11:20 पर फिर बात की जिससे पता चला कि अभी तक कार चलाने वाले व्यक्ति के ऊपर एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। हमें यह बताया गया था कि पुलिस मुख्य रूप से कार चालक की खोज कर रही थी।
“शाहरुख़ नाम का बदमाश चुरायी हुई कार में था, पुलिस चेकिंग से बचने के लिए कार भगायी और ईद की नमाज़ पढ़ कर लौट रहे लोगों के बीच तेज़ी से निकाल दी. किसी को कोई चोट नहीं आयी.” फिर भी इस भीड़ ने वहाँ से गुज़र रहीं बसें और कुछ अन्य वाहन फोड़ दिए. इलाक़े में आतंक फैला दिया. @DelhiPolice https://t.co/iVzHT6pqMp
— Manak Gupta (@manakgupta) June 6, 2019
लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि जिस व्यक्ति के कारण इतना हंगामा हुआ और समुदाय विशेष के लोगों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गई है। गौरतलब है कि डीसीपी यादव ने ऑपइंडिया से हुई बातचीत में कहा था कि जहाँ पर यह घटना घटी अक्सर वहाँ पर भीड़ रहती है लेकिन जिस समय कार वहाँ से गुज़री, उस समय वहाँ कोई नमाज़ अदा नहीं हो रही थी।
बल्कि नमाज़ बहुत पहले ही ख़त्म हो चुकी थी और लोग वहाँ से जा चुके थे। फिर भी समुदाय विशेष के लोगों ने सार्वजनिक वाहन पर तोड़फोड़ की और हंगामा किया। कमाल की बात यह है कि जहाँ ज़्यादातर इंग्लिश मीडिया ने 17 नमाजियों के घायल होने की झूठी ख़बर चलाई वहीं ऑपइंडिया समेत कुछ हिंदी मीडिया ने ऐसा लिखा कि वहाँ कोई घायल नहीं हुआ और इस खबर की सच्चाई बताने की कोशिश की।
Delhi: Police arrests one person in connection with the vandalisation of a vehicle by a group of 'kanwariyas' in Moti Nagar on August 7. pic.twitter.com/4kS9ZhqV6V
— ANI (@ANI) August 9, 2018
इस घटना से लगभग एक साल पीछे जाने पर एक और घटना याद आती है जब अगस्त 2018 में दिल्ली के ही मोतीनगर इलाके में एक कांवड़िये द्वारा किए गए उत्पात पर उसे तीन दिनों के भीतर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। पश्चिमी दिल्ली के मोती नगर इलाके में कांवड़ियों की भीड़ द्वारा एक गाड़ी की तोड़फोड़ करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने दो आरोपितों को पकड़ा था। मुख्य आरोपित कांवड़िए का नाम राहुल उर्फ़ बिल्ला था जिसे उत्तम नगर से गिरफ्तार किया था।
ये कश्मीर नहीं दिल्ली हैं
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) June 5, 2019
सांसद गौतम गंभीर जी का क्षेत्र पूर्वी दिल्ली
गुरुग्राम में बस पर पत्थर मारने वालों को केजरीवाल ने आतंकवादी कहा था लेकिन दिल्ली में इस कांड पर चुप्पी क्यों ?
क्योंकि गुरुग्राम और दिल्ली में पत्थर बाजों का धर्म अलग अलग हैं pic.twitter.com/cCfyyt4hMv
दूसरे आरोपित का नाम योगेश बताया गया था जिसे जेजे कॉलोनी से पुलिस ने पकड़ा था। गौरतलब है कि इस मामले में पुलिस ने इतनी तेज़ी से काम किया था कि एक-दो नहीं बल्कि 100 सीसीटीवी फुटेज खंगालकर देखे गए थे। लेकिन पूर्वी दिल्ली के खुरैझी इलाके में ईद के दिन सार्वजनिक संपत्ति की हुई क्षति के मामले में पुलिस अभी तक न तो सीसीटीवी फुटेज खोज पाई है, न तेज़ी से कार चलाने वाले व्यक्ति पर एफआईआर ही दर्ज कर सकी है और न उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है जिन्होंने डीटीसी बस समेत चार वाहनों को क्षतिग्रस्त किया। दिल्ली पुलिस का यह शर्मनाक कारनामा है कि जिसे पकड़ लिया गया है उसके खिलाफ भी एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है।