उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले में पाकिस्तान की सम्पत्ति पर हेराफेरी का मामला सामने आया है। यहाँ मुफीद खान, रिहाना और कुछ अन्य लोगों पर 1947 में पाकिस्तान चले गए एक व्यक्ति की जमीन को फर्जी कागजात बनवा कर अपने नाम करवाने का आरोप लगा है। अदालत के आदेश पर नोएडा पुलिस ने 24 अक्टूबर, 2023 को कई धाराओं में FIR दर्ज कर ली है। फिलहाल मामले की जाँच की जा रही है।
इस मामले में शिकायतकर्ता नूर मोहम्मद नाम का एक व्यक्ति है जो मूलतः मेवात के पुन्हाना क्षेत्र का रहने वाला है। शिकायतकर्ता ने बताया है कि साल 1947 में हुए बँटवारे में जेवर का रहने वाला तौफीक नाम का व्यक्ति भारत से पाकिस्तान चला गया था। जाते हुए तौफीक की 6.838 हेक्टेयर जमीन भारत में रह गई थी। यह जमीन नोएडा के मेहंदीपुर आलियाबाद में मौजूद है। शिकायतकर्ता का कहना है कि तौफीफ की जमीन नियमानुसार भारत सरकार की होनी चाहिए थी।
अधिकारियों पर अनदेखी का आरोप लगा कर शिकायतकर्ता ने बताया कि यह जमीन तौक़ीफ के पाकिस्तान जाने के बाद भी लम्बे समय तक उसी के नाम पर कागजातों में बनी रही। शिकायत में आगे मुफीद खान उर्फ़ एम ए खान को नटवरलाल बताते हुए आरोप लगाया गया है कि उसने तौक़ीफ की जमीन के फर्जी लोगों के साथ मिल कर नकली कागजात बनवाए। दावा है कि इन्हीं नकली कागजातों के आधार पर पाकिस्तान चले गए तौफीक की जमीन को मुफ़ीद खान द्वारा अपनी बीवी रिहाना के नाम करवा दिया गया।
दोनों आरोपित जेवर थानाक्षेत्र के किला कॉलोनी के निवासी बताए गए हैं। शिकायतकर्ता द्वारा इस मामले की शिकायत 9 और 10 अक्टूबर, 2023 को थाना प्रभारी जेवर, पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर और SDM जेवर से स्पीड पोस्ट व ई मेल के जरिए करने की बात कही गई है। हालाँकि, इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उलटे आरोप है कि 11 अक्टूबर को रिहाना और मुफीद ने पीड़ित को केस वापसी का दबाव बनाते हुए अंजाम भुगतने की धमकी दी।
हालाँकि, पुलिस स्तर से कार्रवाई न होता देख पीड़ित ने अदालत की शरण ली है। अदालत के आदेश पर जेवर थानाक्षेत्र में यह मुकदमा IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 120 B और 506 के तहत 24 अक्टूबर 2023 को दर्ज हुआ। मामले में रिहाना और मुफीद खान को नामजद करते हुए अन्य अज्ञात लोगों का नाम है। मामले की जाँच सब इंस्पेक्टर अजय कुमार को सौंपी गई है। मीडिया से बात करते हुए थाना प्रभारी जेवर ने बताया कि केस की जाँच करवाई जा रही है। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है।
पूर्व के कई अधिकारियों पर उठे सवाल
ऑपइंडिया ने इस मामले पर शिकायतकर्ता के वकील इरशाद चौधरी से बात की। इरशाद ने दावा किया कि यदि मामले की उच्चस्तरीय जाँच हो तो पाकिस्तानी व्यक्ति की जमीन को हथियाने में कई पूर्व अधिकारी भी शामिल मिलेंगे। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति पाकिस्तान चला गया था भारत में उसका न सिर्फ निवास प्रमाण पत्र बनता रहा बल्कि उसकी मौत का भी सर्टिफिकेट जारी करके जमीन की हेराफेरी में पूर्व के कई अधिकारियों ने साजिश में हाथ बँटवाया है।
एडवोकेट इरशाद चौधरी का दावा है कि तौकीक की जमीन जेवर कोर्ट के पास ही है जो सरकार के कई बड़े कामों में प्रयोग आ सकती है जिसमें पुलिस लाइन या अदालत तक खुल सकती है। एडवोकेट इरशाद के मुताबिक केस में नामजद आरोपित इससे पहले भी कुछ जमीनों की हेराफेरी में शामिल रह चुके हैं लेकिन उन पर अभी तक प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया है। हालाँकि उन्होंने इस कानूनी लड़ाई को आगे भी जारी रखने का ऐलान किया। इरशाद चौधरी ने इस बात में भी हैरत जताई है कि देशद्रोह से भी गंभीर इस मामले में अभी तक किसी भी आरोपित को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है।