पश्चिम बंगाल में गर्भवती महिलाओं के आँकड़ों में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि राज्य में हर 6 गर्भवती महिलाओं में 1 टीनेज (13 से 19 साल की लड़की) है। ये आँकड़े राज्य स्वास्थ्य विभाग के ही हैं। विभाग ने इन आँकड़ों पर चिंता प्रकट की है।
पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के तहत गर्भवती महिलाओं, जच्चे-बच्चे से संबंधित एक वेब-पोर्टल है। ‘मातृमा (MatriMa)’ नाम है उसका। इसके आँकड़ों के अनुसार सितंबर 2022 में बंगाल में किशोर (टीन एजर्स) जोड़ों की तादाद लगभग 4 लाख थी। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने उन्हें गर्भ निरोधक चीजों के इस्तेमाल की सलाह दी थी।
गर्भ निरोधकों के इस्तेमाल को लेकर ‘मातृमा (MatriMa)’ की पहल पश्चिम बंगाल में बहुत असरदायक नहीं रही। तुलनात्मक तौर पर देखें तो पिछले वर्ष की तुलना में गर्भ निरोधक चीजों का प्रयोग करने वाले जोड़ों की संख्या में महज 5% का इजाफा हुआ है। जनवरी 2022 में जहाँ गर्भ निरोधकों का प्रयोग करने वाले जोड़ों की सँख्या 50% थी, वहीं 1 साल बाद जनवरी 2023 में यह सँख्या 55% ही हो पाई।
‘मातृमा (MatriMa)’ के आँकड़ों के अनुसार सितंबर 2022 में पश्चिम बंगाल में कुल विवाहित महिलाओं में से टीनेजर लड़कियों की संख्या 4 लाख थी। इससे ज्यादा चौंकाने वाला आँकड़ा यह है कि बंगाल में कुल गर्भवती महिलाओं में 17% टीनेज लड़कियाँ हैं, जबकि शादीशुदा महिलाओं में टीनेज लड़कियों का प्रतिशत सिर्फ 4% ही है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ने पश्चिम बंगाल में गर्भवती महिलाओं की स्थिति, कम-उम्र वाले विवाहित जोड़ों आदि पर 2019-2020 में आँकड़े जारी किए थे। उन आँकड़ों के अनुसार तब राज्य में गर्भवती कुल महिलाओं में 17% टीनएजर्स बताई गई थीं। उस समय जारी आँकड़े के अनुसार 15 से 19 वर्ष की उम्र के बीच गर्भवती हुई लड़कियों का प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में 8.5% था, जबकि ग्रामीण इलाकों में इसी का प्रतिशत 19.6 था।
स्वास्थ्य मंत्रालय जहाँ लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से ऊपर मानता है तो वहीं बच्चे पैदा करने के लिए न्यूनतम उम्र 21 साल बताई गई है। मंत्रालय का मानना है कि इस उम्र से कम होने पर न सिर्फ बच्चे बल्कि माँ को भी तमाम संक्रमण और खतरों का डर होता है।