Sunday, December 22, 2024
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6 साल की बच्ची से रेप में शेख आसिफ अली को हुई थी फाँसी, लेकिन हाई कोर्ट ने कम कर दी सजा क्योंकि वह ‘पाँच वक्त का नमाजी’ है

ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस एस.के. साहू और जस्टिस आर.के. पटनायक की खंडपीठ ने अकील और आसिफ की मौत की सजा बदल दी। अकील को बरी कर दिया गया, तो आसिफ को उम्रकैद की सजा दी गई।

ओडिशा हाई कोर्ट ने 6 साल की बच्ची की रेप के बाद मौत के मामले में अकील अली को दोषमुक्त कर दिया और आसिफ अली की सजा को बदल दिया। दोनों को ट्रायल कोर्ट ने फाँसी की सजा सुनाई थी, लेकिन ओडिशा हाई कोर्ट ने अकील अली को दोषमुक्त कर दिया और आसिफ अली की फाँसी की सजा को बदलकर उम्रकैद कर दिया। कटक स्थित ओडिशा हाई कोर्ट ने कहा कि ‘आरोपित दिन में कई बार नमाज अदा करता है, चूँकि उसने खुद को अल्लाह को समर्पित कर दिया है, ऐसे में वो कोई भी सजा भुगतने को तैयार है।’

वर्डिक्टम की रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस एस.के. साहू और जस्टिस आर.के. पटनायक की खंडपीठ ने कहा, “सजा अनुपातहीन रूप से बड़ी नहीं होना चाहिए, यह न्यायोचित सजा का एक परिणाम है और यह उसी सिद्धांत द्वारा निर्धारित होता है जो निर्दोष को सजा की अनुमति नहीं देता है। अपराध करने पर निर्धारित सजा से अधिक कोई भी सजा, निर्दोष को सजा देने जैसा है।”

ऑपइंडिया के पास मौजूद कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अकील और आसिफ ने 21 अगस्त 2014 को चॉकलेट खरीदने गई 6 साल की बच्ची का अपहरण कर लिया, जिसे बाद में नग्न और बेहोशी की हालत में पाया गया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने संदेह जताया कि उसके साथ रेप हुआ है। जहाँ से उसे कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रेफर कर दिया गया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। उसके चचेरे भाई ने बाद में खुलासा किया कि अपीलकर्ता आसिफ अली और अकील अली उसे जबरदस्ती ले गए थे।

इस मामले में पीड़ित की चाची ने आसिफ और अकील के साथ 2 अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसमें पुलिस ने चार्जशीट दाखिल किया था। ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 302, 376-डी, 376-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाया और उन्हें फाँसी की सजा सुनाई। इस सजा के खिलाफ अकील और आसिफ ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

हाई कोर्ट ने अकील अली को आईपीसी की धारा 302/376-ए/376-डी और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत सभी आरोपों से बरी कर दिया, साथ ही आसिफ अली को भी आईपीसी की धारा 376-डी के तहत बरी कर दिया। हालाँकि कोर्ट ने आसिफ को आईपीसी की धारा 302/376-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाया और उम्रकैद की सजा दी।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यह रिकॉर्ड से प्रमाणित है कि अपराध लगभग छह वर्ष की आयु की एक बालिका के साथ सबसे वीभत्स, शैतानी और बर्बर तरीके से किया गया था, लेकिन मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है और रिकॉर्ड पर ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि अपराध पूर्व-नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा लगता है कि दोनों अपीलकर्ताओं ने मृतक को उसके चचेरे भाई (पीडब्लू 17) के साथ देखा था, जब वे चॉकलेट खरीद कर लौट रहे थे और फिर मृतक को उठा लिया गया और उसके साथ बलात्कार किया गया, जिसके दौरान उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर चोटें आईं और उसकी मृत्यु जननांग पथ पर लगी चोटों के परिणामस्वरूप सदमे और रक्तस्राव के कारण हुई, जो सामान्य प्रकृति में घातक थी।” हाई कोर्ट ने आगे कहा कि नाबालिग चचेरे भाई को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया गया, जबकि अभियुक्तों को पता था कि वो लोगों को उनके अपराध के बारे में बता देंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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