झारखण्ड में भीड़ द्वारा तबरेज अंसारी की हत्या के विरोध में मालेगाँव में 1 लाख लोग सड़कों पर उतरे। मालेगाँव की सड़कें और पूरा का पूरा क्षेत्र उनके विरोध प्रदर्शन का गवाह बना। ये सभी मॉब लिंचिंग के ख़िलाफ़ कड़े क़ानून बनाने की माँग लेकर सड़कों पर उतरे थे। रैली के आयोजकों ने कहा कि तबरेज का मारा जाना ‘फाइनल ट्रिगर’ है और अब विरोध का समय आ गया है। नीचे संलग्न की गई वीडियो में आप 1 लाख की मजहबी भीड़ द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए देख सकते हैं।
Protests in Malegaon against mob lynchings.
— Zainab Sikander (@zainabsikander) July 2, 2019
I see a huge Reformation coming in the Muslim community in India.
We need to come out in the open & address the Islamophobia that we live with. I finally see it happening.pic.twitter.com/9mzOKT9cih
इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन जमियत उलेमा ने किया। उन्होंने कहा कि वे संविधान को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं। संगठन के लोगों ने कहा कि वे बदला नहीं चाहते क्योंकि वे हिंसा में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने क़ानून के नियमों पर भरोसा करने का दावा किया।
हालाँकि, जिन लोगों ने वहाँ भाषण दिया, उनमें से कई के भाषण उत्तेजक थे तो कई ने शांति बनाए रखने की अपील की। मौलवियों ने कहा कि अगर समुदाय की तरह किसी और को निशाना बनाया गया होता तो वे अभी तक पलटवार कर चुके होते। एक मौलवी ने कहा कि अब चीजें बर्दाश्त से बाहर हो रही हैं। एक मौलवी ने भाषण देते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग आतंकवाद है जो सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से अपील की कि वह सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर उन्हें कर्तव्यों की याद दिलाएँ। साथ ही लोगों ने मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के परिवारों को 50 लाख रुपए देने की माँग की। एक मौलवी ने कवि फ़याज़ की पंक्ति पढ़ी- “अगर आज निशाने में हम हैं, तो दूसरों लोगों को ख़ुश नहीं होना चाहिए।“