असम की हिमंता सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ चलाए गए एक बड़े अभियान में 1039 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे राज्य में बाल विवाह के खिलाफ दूसरे चरण का ये अभियान मंगलवार (3 अक्टूबर, 2023) की सुबह चलाया गया। आगे भी इस अभियान के जारी रहने की खबर सामने आई है।
इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है। बता दें कि इस साल फरवरी में भी असम सरकार ने राज्य में बाल विवाह के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई शुरू की थी। इसमें एक महीने में 3141 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
The number now stands at 1,039. https://t.co/RTAOh3slWj
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) October 3, 2023
पंचायत सचिव सहित कई सोर्स से ली जानकारी
पिछली कार्रवाई में गिरफ्तार लोगों के रिकॉर्ड के इंडियन एक्सप्रेस के विश्लेषण से पता चला था कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से 62.24 फीसदी मुस्लिम थे, जबकि बाकी हिंदू या अन्य समुदाय के लोग थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरे चरण में राज्य भर में 916 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कहना है कि इस अभियान के तहत 706 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 1,041 लोग आरोपित हैं।
गिरफ्तार लोगों में 551 पुरुषों पर कम उम्र की लड़कियों से शादी करने का आरोप है। वहीं 351 पति या पत्नी के रिश्तेदार हैं। इसके साथ ही 14 मौलवी आदि हैं जिन्होंने ये शादी करवाई थी।
अब तक 35 पुलिस जिलों में से 31 में गिरफ्तारियाँ हुई हैं। कामरूप (मेट्रो) के तहत आने वाले गुवाहाटी शहर में सबसे ज्यादा गिरफ्तारियाँ हुई हैं। इसके बाद धुबरी में 192 और बारपेटा जिले में 142 में लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इन जिलों के बाद हैलाकांडी 59, कामरूप में 50 और करीमगंज 47 लोगों को पकड़ा गया। बारपेटा के पुलिस अधीक्षक अमिताव सिन्हा ने कहा कि जिले में गिरफ्तार किए गए सभी 142 लोगों को रात के दौरान उठाया गया था।
उन्होंने आगे कहा, “हमने कई सोर्स से जानकारी इकट्ठा की थी। इसमें पिछले अभियान के दौरान बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में नियुक्त पंचायत सचिव भी शामिल थे। उसके बाद ही गिरफ्तारियाँ शुरू की गईं।”
सीएम सरमा की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी
गौरतलब है कि सीएम सरमा की किसी भी सामाजिक बुराई के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के ऐलान के बाद ही असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ एक्शन शुरू किया। इस साल की शुरुआत में असम सरकार ने फरवरी में बाल विवाह के खिलाफ इस अभियान का पहला चरण चलाया था। तब उन्होंने प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल का हवाला देते हुए कहा था कि बीते साल असम में 6.2 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं में से लगभग 17 फीसदी किशोरियाँ थीं।
दरअसल, राज्य सरकार ने बाल विवाह के “पीड़ितों” के पुनर्वास पर एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया है। इसमें सीएम सरमा के कैबिनेट सहयोगियों रानोज पेगु, केशब महंत और अजंता नियोग को पैनल का सदस्य बनाया था। वहीं अब विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने इस अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि हम पुलिस बल के जरिए बाल विवाह नहीं रोक सकते हैं।
बाल विवाह करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर 11 सितंबर को ही राज्य के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने असम विधानसभा में बताया था कि बीते 5 साल में बाल विवाह से जुड़े मामलों में कुल 3907 गिरफ्तारियाँ की गईं।
इसमें से 3319 के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) एक्ट 2012 के तहत आरोप तय किए गए थे। हालाँकि, अदालत ने बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत अब तक केवल 62 लोगों को दोषी ठहराया है।